एक कलाकार
सोचता है
कल्पना और कलम से।
आॅकता है
चित्र सौकड़ों
सुन्दर-खूबसूरत
सजीव
तुंरत बोलनेवाला।
वास्तविक रूप देनेवाला
एक आकर्षण
सौ प्रतिशत
बांध देनेवाला प्यार
जोड़ देनेवाला एक रिस्ता।
मिलती है प्रेरणा
देता है संदेश
दिलाता है विश्वास
और बांटता है उपदेश।
विना कहे
बता देता है
वो सब कुछ
निखर जाते हैं
अलग अनग उसके प्रतिबिंभ।
लोकप्रिय
रूढ़िवाद
बन जाती है
एक सुंदर आकृति।
सौ प्रतिशत पवित्र
आध्यात्मिक
परिपक्व और परिपूर्ण।
फिर सोचता है कलाकार
अपनी जिंदगी
अपने बच्चों का भविष्य
तलाशता है अपनी पहचान
एक मंजिल।
न घर दिया
न पढ़ाया
बस केवल रोटी से
चलती रही जिंदगी।
वाह रे हमारी संस्कृति
हमारा भविष्य
हमारा देश।
बी पी शर्मा बिन्दु
आपने एक कलाकार की दयनीय स्थिति का बहुत अच्छा आंकलन किया है……आज बहुत सी कलाएं ऐसी हैं जो इसी लिए बंद पड़ी हैं….और कलाकार भूखे मर रहे हैं….
Very very thank you for your best response.
nice sarcasm …………
Thank you for your comment.
सटीक परिकलन बिंदु ………..दुरुस्त लिखा आपने !!
Thank you sir for your comment regarding this poem.