एक लड़की जिसकी आँखे ,
सब कुछ बयां करती है ,
खोलती है उसके सारे राज ,
उसकी आँखे सूरज सी तपिश लिए हुए है ,
जो निरंतर प्रकाश बिखेरती है ,
उसकी आँखों से छलकते आंसू ऐसे लगते है मानो,
पर्वत के शिखर से नदी का उद्गम हो रहा हो ,
उसकी आँखों की नमी झील सी लगती है ,
जब वो पलके झुकाती है तो ऐसा लगता है मानो ,
वो चमकदार सूरज तेज लिए हुए उस झील में डूब के अस्त हो गया हो ,
मैं एक पर्यटक की तरह उस नज़ारे का लुत्फ़ उठाता हू I
अगले ही पल जब उसकी पलके उठती है तो , ऐसा प्रतीत होता है
जैसे सूर्योदय से पूर्व कोई सूरज पहाड़ के पीछे से अपनी आभा
बिखेर रहा हो , वो सूरज रूपी आँखे मुझे देखती है और मैं एक
सूर्य भक्त की तरह उसे सूर्य नमस्कार करता हू I
शीतलेश थुल !!
बेहद ही खूबसूरत भाव….वाह….क्या कहना सूर्य नमस्कार का….अलग ही अंदाज़……
बहुत बहुत धन्यवाद शर्मा जी। एक छोटा सा प्रयास किया है मैंने।
बेहतरीन भाव………………
सहृदय धन्यवाद मणि जी।
बहुत खूबसूरत……..
धन्यवाद सिंह साहब।
बहुत खुबसूरत रचना – – – – सुंदर भाव ।
बहुत बहुत धन्यवाद काजल सोनी जी।
आँखों की उपमा भिन्न रूपो में वो भी प्रेम संग अतिशयोक्ति का खूबसूरत समावेश ………अति सुन्दर शीतलेश !
सहृदय धन्यवाद निवातियाँ साहब। आपका आशीर्वाद बना रहे।
अच्छा है शीतलेश ………
सधन्यवाद मधुकर जी।
Nice composition…………………. with heart touching words………………..
बहुत बहुत धन्यवाद कुशक्षत्रप साहब।