दोस्तों की दोस्ती
वो भी क्या दिन थे
जब होती थी
दोस्तों संग मस्ती
हर रिश्तों से अलग थी
हम दोस्तों की दोस्ती
वो दिन भर की शरारते
वो दिन भर हँसी-मजाक
हर सुख-दुःख में रहते थे साथ
वो भी बिना किसी स्वार्थ
बहुत याद आता है अब
उन दोस्तों का साथ
ना किसी का डर था
ना समय का फिकर था
दौड़े चले जाते थे
दोस्तों के एक आवाज पे
बिना देखे कि
दिन था या रात था
कहीं भी हम जाते थे
हमेशा साथ-साथ
पुचका-चाट खाते थे
हमेशा एक साथ
बहुत याद आता है अब
उन दोस्तों का साथ
अलग थी हमारी दुनिया
ना थी कोई चिंता
ना ही कोई परेशानी
खूब मजा किया हमने
खूब की शैतानी
वो भी क्या दिन थे
जब होती थी
दोस्तों संग मस्ती
सबसे अलग थी
हम दोस्तों की दोस्ती
पियुष राज ,दुधानी, दुमका ।
(Poem. No-26) 30/07/2016
बचपन की उन अल्हड़ दिनो की याद दिला जी जब दोस्तो के बीच फक्कड़पन मे जीवन बीत रहा थ……….
कहा गये वो दिन……………..वेहतरीन
प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद्
बेहद बेहद खूबसूरत…..यादों की रचना…..
“दोस्तों की दोस्ती” बहुत ही खूबसूरती के साथ पिरोया है आपने पियुष राज जी।
heart touching lines………………..
बहुत ही सुंदर…………………..
बहुत अछ्छे पियूष ..!!