तुम जो रूठी हो तुम्ही बताओ कि हम तुमको मनाएं कैसे….
अपने दिल से ही पूछो तुम हम क्यूँ बताएं के मनाएं कैसे…
तुम को है हुस्न पे तो हम को भी है अपने इश्क़ पे गरूर….
होगा पर हम हैं हुस्न तो इश्क़ के हर नाज़ को उठाएं कैसे….
तुम हो इश्क़ के परवाने तो हर कली पे फिर मचलते क्यूँ हो….
मगरूर हुस्न ना दे गर साथ तो हम दिल को फिर बहलायें कैसे…..
तुमको क्या पता कैसे गुजरती है रातें मेरी तनहा सी हर पल….
दीवाना है तेरे इश्क़ का दिल मेरा भी अब इसको समझाएं कैसे….
चलो मान जाते हैं दोनों ही एक दुसरे से ऐ मेरे हमनशीं मेरे दिलबर….
फिर ना जाने वक़्त कब कहाँ कैसे हम को मिलाये और मिलाये कैसे….
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/सी.एम्. शर्मा (बब्बू)
वह ! आपके गज़ल लिखने के भव ने मेरे दिल को रंगरस कर दिया
बहुत बहुत शुक्रिया जनाब……
बहुत बढ़िया बब्बू जी . आपका आशु कवि रूप भी सामने आ गया इस बहाने. आप इसी भाव पर मेरी पूर्व में प्रकाशित एक रचना “मुहब्बत के हंसी ताज ” भी अवश्य पढ़े और अपनी प्रतिक्रया अवश्य भेंजें
जी ज़रूर……बहुत बहुत आभार….
खोज में नहीं आया…मुहब्बत के हंसी ताज….
बहुत ही सुंदर…………..आप भी शिशिर सर का पीछा कर रहे हैं………..फर्राटा दौड़ चल रही है.
हा हा हा….मैं तो पीछा कब से शुरू किया करने का…पर कहाँ 600 kms. की स्पीड वाली ट्रेन….वो भी एक दम खालिस क्वालिटी की….कहाँ मैं ४० kms. स्पीड वाला…. बहुत बहुत आभार आपका…….
क्या खूब लिखा है शर्मा जी अपने। कमाल की ग़ज़ल है।
बहुत बहुत आभार….
क्या बात है !
बहुत ही बेहतरीन अंदाज !
एक सवाल !
तो दूजा जवाब !
बहुत बहुत सुंदर गजल ।
आप को पसंद आयी….आभार दिल से……..
बहुत उम्दा बब्बू जी ……….मुझे तीसरे शेर की रदीफ़ में कही “बनाएं” की जगह “मनाये ” तो नही है ………वैसे आपने जो रखा है हो सकता है आपके मंतव्य में सही हो ……बस ऐसे ही …मुझे लगा …!!
मैंने इस भाव से लिखा जैसे अपने कि मन को बहलाने को अपने को इंसान बनाता है समझाता है……बहलायें बातों में याद आ गया यह कर देते हैं…. तहदिल आभार……आप का बहुत बहुत…….
बब्बू जी पहले तो त्वरित रचना कर पटल पर रखने की हुनर को मेरी बधाई स्वीकार करें। बेहतरीन लब्जों के बेहतरीन इस्तेमाल से रचना के सौन्दर्य में आशातीत सौम्यता आई है।
आपकी अगर speed 40 kms है तो मेरी तो 4kms है बब्बू जी!
आप का बड़प्पन है सर…..हर कोई आपकी कलम का जादू जानता है….हम तो कभी मन में जो आया लिख देते… ना अच्छा हुआ….आप जैसे गुणीजन किस लिए हैं…हमें रगड़ के चमकाने के लिए…हा हा हा….आपके स्नेह का प्यार का मैं ऋणी हूँ…….
असली कलाकार है आप…..सी एम् शर्मा जी……..बहुत खूब
मनी जी…..सब मुझसे कहीं ज्यादा बेहतर कलाकार हैं… हाँ ये आपका प्यार है जो मुझे इतना सम्मान देता है…. जिसका मैं लफ़्ज़ों में शुक्रिया असा नहीं कर सकता…. फिर भी आभार बहुत बहुत…..दिल से…..
क्या बात है शर्मा जी आज तो मोहब्बत का नशा सर चढ़ कर बोल रहा है ……………………… लाजवाब !!
सर यह सब आपके नशीली शायरी का किया धरा है…. हमारा कोई कसूर नहीं….हा हा हा……तहदिल आभार सर्वजीत जी……
देर से प्रतिक्रिया के लिए क्षमा!
आये हुए निखार को स्वीकार करें। सृजनशीलता निश्च्य ही बढ़ी है।
सर आप का धन्यवाद…..सब आप गुणीजन की सोहबत का असर है कोशिश करता हूँ सुधार करने के…
बाबू जी सवाल जवाब अच्छे हैं ,,,,सुंदर
आप को पसंद आये….आभार आप का दिल से……