गीता का श्लोक -यदा यदा
ही धर्मस्य……..
ये आप मानते है कि सत्य हुआ. धर्म
के उत्थान के लिए यदि भगवान ने
जन्म लिया था तब धर्म क्यों
अधोगति को प्राप्त हुआ…..
महाभारत युद्ध के बाद धर्म का
निरंतर पतन हुआ इस युद्ध में असंख्य
आर्य योद्धा मारे गए .बड़े बड़े
विद्वान् राजा महाराजा
ऋषि लोग समाप्त हो गए,
विद्या व् वेदोक्त ,धर्म का
प्रचार कम होता गया… जो
बलवान हुआ दुसरे की मारकर स्वयं
राजा बन बैठा ..आर्यावर्त खंड
खंड हो गया,लोग धर्म छोड़कर
अधर्म पर चलने लगे बौद्ध व् जैन
आदि विभिन्न मत उत्पन्न हो
गए… चन्द्रगुप्त मौर्य ,अशोक
,समुद्रगुप्त ,विक्रमाद्वितीय
आदि सम्राटो को छोड़ दे तो
अधिकतर समय हम दिशाहीन
रहे…..आपस में लड़ते रहे ,फिर इसी
फूट में हम हजारो वर्षो तक
गुलाम रहे…………… सामाजिक
आर्थिक व राजनीतिक रूप से हम
कमजोर हो गए , धर्म का स्थान
अधर्म ने ले लिया…..जिस देश में
आर्य चक्रवर्ती सम्राट हुआ करते
थे प्रजा सुखी थी देश सोने की
चिड़िया था, आज देश में गरीबी
बहुत है…अनेको समस्याए हैं…
गीता के रचनाकाल या
महाभारत होनेे बाद धर्म की
स्थापना हुई या अधर्म बढ़ा….
क्या गीता का श्लोक भगवान
की वाणी है जो असत्य सिद्ध
हुई अथवा ये श्लोक गीता में
बाद में मिलाया गया है ,अथवा
कृष्ण भगवान नहीं महापुरुष थे और
ये सब कुछ काल चक्र का हिस्सा
था..ईश्वर की वाणी असत्य कैसे
हुई हमें अपनी मान्यताओ को
सत्य की कसौटी पर कसना
चाहिए और फिर जो सत्य हो
उसे स्वीकार करना होगा
……….
वैदिक ज्ञान को दर्शाने का अच्छा प्रयास !!
धन्यवाद आपको
वेद जी जो श्लोक से आपने शुरू किया उसका मतलब धर्म. का जब २ नाश हुआ है भगवन ने मनुष्य रूप में आकर एक सन्देश दिया है मेरी समझ से उनका अभिप्राय यह बताना था की इंसान. जब इंसानियत को छोड़ देता है तो उसके धर्म का नाश होजाता है फिर वह आपने कर्मों के लिए खुद ज़िम्मेदार होता हैऔर उसका फल भी वह ही भोगता है आछे काअच्छा और बुरे का बुरा .मेरी समझ में इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं . बाकि जो सवाल आपने उठाया है सोचने मज़बूर. कर देता है कि कहीं. हम पुराने समय कि तरफ ही तो नहीं लौट रहे .
बिल्कुल सही बोले आप, धन्यवाद आपको