महाभुजंगप्रयात सवैया
करूं अर्चना-वंदना मैं तुम्हारी,
महावीर हे ! शूर रुद्रावतारी!
कृपा-दृष्टि डालो दया दान दे दो,
बढ़े बुद्धि-विद्या बनूं सद्विचारी।।
हरो दीनता-दुःख-दुर्भाग्य सारे,
तुम्हीं नाथ हे! लाल-सिंदूरधारी!
सदा हाथ आशीष का शीश पे हो,
यही प्रार्थना हे! महाब्रह्मचारी।।
रचना-रामबली गुप्ता
शिल्प-आठ यगणों की आवृति(१२२×८), यति चार यगणों पर तथा चारों पदों में तुकांतता।
जैसे-
यमाता यमाता यमाता यमाता,
यमाता यमाता यमाता यमाता।
जय बजरंगबली
अति सुन्दर आदरणीय
अतिशय आभार आद० अभिषेक जी
जय बजरंगबली………………..बहुत ही सुंदर………………….
जय बजरंग बली विजय कुमार जी
jai hanuman gyan gun sagar……………………..bahut hi sunder rachna
जय जय…………..मणी जी
क्या बात है राम जी बजरंगबली की स्तुति गा रहे है ।
बहुत सुंदर **********
काजल जी जय बजरंगबली
हमेशा की तरह बेहतरीन रचना
आपका बहुत बहुत आभार आद० शिशिर जी
साहित्य शिल्प की विधाओ से परिपूर्ण…….ईश याचना करती करती उम्दा रचनात्मक प्रस्तुति !! बहुत खूब रामबली जी !!
हृदय से आभार आद० निवातियाँ जी
बहुत बढ़िया और मात्रा की शुद्धता के साथ!
सादर आभार सुरेन्द्रनाथ जी
रुद्रावतार जी की बेहद ही खूबसूरत स्तुति……..