नशा करना है तो ईश भक्ति का करो मादकता मे क्या रखा है।
जिदंगी किसी नेक मकसद से जियो विलासिता मे क्या रखा है ।
वैसे तो संसार मे जन्म लेते है विभिन्न प्राणी करोडो योनियो मे ।
इंसान रूप है अवतार कुदरत का, बाकी नरक स्वर्ग मे क्या रखा है ।।
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डी. के. निवातियॉ[email protected]
बहुत बढ़िया निवातिया जी नशा ईश्वर भक्ति का सब से अच्छा है…………….इसे कोई करना नहीं चाहता
बहुत बहुत धन्यवाद मनी …………..!!
वाहहहहहहह बहुत ही खूबसूरत निवातिया जी
बहुत बहुत धन्यवाद अभिषेक …………..!!
अति सुन्दर ………………….
धन्यवाद……शिशिर जी…॥॥।।
बेहतरीन रचना …………………….अत्यंत ज्ञानदायक बातें लिखी हैं आपने……………..
बहुत बहुत धन्यवाद विजय …..॥॥॥॥।।
अति खूबसूरत ……..
शुक्रिया मनोज……………..॥
इस रचना मे आपने बहुत ही अच्छी बात कही ।
बहुत ही लाजबाब *********** !!
रचना पसंद करने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद काजल ।
अध्यात्म आधारित सुन्दर रचना!!
बहुत बहुत शुक्रिया मीना जी ……..।।
क्या बात है, खूबसूरत आध्यात्मिक रचना ……………………………………. लाजवाब निवातियाँ जी !!
बहुत बहुत शुक्रिया सर्वजीत जी।।
हा हा हा…..उस्ताद उस्ताद ही होता है….ऐसे ही नज़र पड़ी नशा पे लगा देखूँ किसकी है….सब रचनाएं बीच की छोड़ी…. मालूम था नशा यहीं आएगा….आपने सिर्फ इसको नशा रखा….मतलब असली नशा यही है….नशा1,…2… सब बहुत नीचे इस से…..असल तो असल ही कोई 1…2 नहीं….बेहतरीन……….नशा…..
मूल्यवान प्रतिक्रिया के लिए तहदिल से धन्यवाद बब्बू जी …….!!
निवातियाँ जी इन चार पंक्तियों मे आपने बडी ही उत्कृष्ट बाात कहीं है, वाकई मे स्वर्ग या नर्क के बजाय हमें बेहतर कर्म पर ध्यान देना चाहिये, और अपना जीवन मानव कल्याण हेतु समर्पित करना चाहिये ताकि पीछे मुड़ कर यह कहाँ जा सके कि हाँ, चाहे जैसे भी थे हमने कुछ तो अच्छा किया है।
सत्य कहा आपने सुरेंद्र ……..यथोचित जीवन का कोई सार होना चाहिये ……..मूल्यवान प्रतिक्रिया के लिए तहदिल से धन्यवाद आपका…….!!