नशा शराब का हो तो दिमाग के पट खोलता है
दिल मे दबे राजो को बडी आसानी से खोलता है
जुटा नही सकता जो हिमम्त दो लफ़्ज कहने की
वो बुजदिल भी फिर बडी बेबाकी से बोलता है ।।
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डी. के. निवातियॉ[email protected]
नशा शराब का हो तो दिमाग के पट खोलता है
दिल मे दबे राजो को बडी आसानी से खोलता है
जुटा नही सकता जो हिमम्त दो लफ़्ज कहने की
वो बुजदिल भी फिर बडी बेबाकी से बोलता है ।।
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डी. के. निवातियॉ[email protected]
शराब बुजदिल को भी शेर बना देती है पर बस थोड़ी देर के लिए ………………………… बहुत ही बढ़िया – ज़बरदस्त – निवतियां जी !!
सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद सर्वजीत जी …..!!
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नशा चीज ही ऐसी है निवातियाँ जी। जब इन्सान इसकी आगोश में होता है तब वह अपने इन्द्रिय के तमाम बन्धनों को तोड़ चूका होता है,इसीलिए राज भी निर्भय होकर खोलता है।
सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद सुरेंद्र …..!!
hahahaha……………..bahut khub nivaatiya ji………………..nashe ka dusra pehlu wah sir
सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद मनी …..!!
क्या खूबसूरत बात लिखी है आपने………..शराब के नशे में बुजदिल भी फिर बडी बेबाकी से बोलता है ………………
बेहतरीन…………………….
सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद विजय …..!!
सही कहा आपने **********बस एक पैक मारने से दिल के सारे राज खुल जाते है ।पर बाद मे पछताना भी पड़ता है जो नही बताना चाहते वो राज भी खुल जाते है ।
सुंदर रचना निवातिया जी ।
सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद काजल …..!!
बेहतरीन अंदाज़ निवतियां जी
सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद शिशिर जी …..!!
वाह्ह्ह्ह्ह्,बहुत बढ़िया बेहतरीन निवतियां जी
तरजीह देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद अभिषेक !!
सुन्दर रचना निवातियाँ जी !!
रचना पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद मीना जी !!
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बहुत सुंदर रचना सर……….
बहुत बहुत शुक्रिया अलका !!
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पता नहीं पर मैं जैसे जैसे ज्यादा पीता जाता हूँ….गुमसुम हो जाता हूँ…….हा हा हा…..पर अंदाज़े ब्यान लाजवाब……….
ज्यादा मे तो सबकी बोलती बंद हो जाती है बब्बूजी ……… वैसे मुझे अनुभव नहीं….. मगर देखा अवश्य है……हा हा हा हा……… इस श्रंखला के अन्य भागों पर भी आपकी प्रतिक्रियायें प्रतीक्षारत है……. वहुत वहुत धन्यवाद आपका।।
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