नशा दौलत का जब सर चढकर बोलता है
हर एक शै: को कागजी टुकडो से तोलता है
कर देता है कत्ल जहन से सब जज्बातो का
इंसानियत को भी अपने पैरो तले रौदंता है ।।
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डी. के. निवातियॉ[email protected]
नशा दौलत का जब सर चढकर बोलता है
हर एक शै: को कागजी टुकडो से तोलता है
कर देता है कत्ल जहन से सब जज्बातो का
इंसानियत को भी अपने पैरो तले रौदंता है ।।
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डी. के. निवातियॉ[email protected]
बहुत-बहुत सुंदर…………..नशा दौलत का ऐसा ही होता है.
बहुत बहुत धन्यवाद विजय !!
बेहद बेहद खूबसूरत……..सौफीसदी सत्य….
धन्यवाद बब्बू जी ………………..!!
बहोत सही कहा आपने **********
तहदिल से शुक्रिया काजल ……….!!
बहुत सुंदर रचना सर…..
बहुत बहुत शुक्रिया आपका अलका ।।
सच कहा है सर, जब दौलत का नशा चढ़ जाता ही तो इन्सान अपनों जे जज्बातो की भी पर्वाह नहीं करता!
सच कथन
बहुत बहुत धन्यवाद सुरेन्द्र आपका ।।
बिलकुल सही बात ।
दिल को मेरे जगा दी आपने
बहुत बहुत धन्यवाद रविन्द्र आपका
Very true ………………..
बहुत बहुत धन्यवाद शिशिर जी ।
bahut khusoorat andaz mein saty kaha aapne………………….nivaatiya ji apne
बहुत बहुत धन्यवाद मनी ।
नशा
और तिसपर ये कलमकारी
वाह!
बहुत खूब सर
तहदिल से शुक्रिया अरूण आपका ।।
दौलत का नशा जब सर पर चढ़ता है तो सब रिश्ते नाते ख़त्म हो जाते हैं ………………………………….लाजवाब निवातियाँ जी !!
तहदिल से शुक्रिया सर्वजीत जी ।।