झम झम बरसो बदरिया रे
सावन में हों संग संवरिया रे
भीनी खुशबू ले कली खिल गयी रे
लहराई हरयाली चुनरी उड़ गयी रे
झूला झूलें संग संग सैय्याँ रे
आये मजा दोनों भीग जैय्याँ रे
हरी हरी चादर ये पहाड़ों ने ओढ़ी
मनभावन ये रितु मन भायी रे
झम …………………………………………….. उड़ गयी रे
प्रेम के सागर में मन उतर गया रे
आजा साजन जाये बीत उमरिया रे
चूड़ी खनकी छनकी ये पायलिया रे
गोरी गाये गीत बन गुजरिया रे
झम …………………………………………….. उड़ गयी रे
कड़के ये बिजली बैचेनी बढ़ गयी रे
शोला बन गया बदन मैं जल गयी रे
गुलाबी होठों पे मुसकाँ आ गयी रे
ले आया सावन गोरी संदेशा रे
झम …………………………………………….. उड़ गयी रे
“मनोज कुमार”
bahut khubsoorat…………………..
बहुत प्यारा……….
सुंदर गीत *****************
अति सुंदर………….. ।।