हमको कुछ नही कहना जुबाँ बंद है हमारा
मँझधार में है नइया , है भगवान का सहारा ।
गोरों से आजाद हो गये पर न गयी गुलामी
हमने खुद ही लिख डाली अपनी ही बदनामी ।
सत्ता की खुमारी सिर चढ़कर बोलती है
नित नये घोटालों की यहाँ पोल खोलती है ।।
मंत्री गण खा जाते है पशुओं का भी चारा ।
हमको कुछ नही कहना जुबाँ बंद है हमारा ।
चोरों व घूसखोरों के खूब ठाट हैं यहाँ पर
इमानदार लोगों की लगी बाट है यहाँ पर ।
पाँच सितारा मे जाकर नेता जी खाना खाते
और 32 रुपये कमाने वाले को अमीर हैं बताते ।।
चुनाव जीतने के बाद वो क्षेत्र में जाते नही दुबारा ।
हमको कुछ नही कहना जुबाँ बंद है हमारा ।
क्लर्क से कलेक्टर तक सब भ्रष्ट हैं यहाँ पर
प्रशासन की पंगुता से जनता त्रस्त है यहाँ पर ।
नेताओं के जन्म दिन पर करोड़ो यहाँ लुट जाते हैं
वहीं कर्ज में डूबे किसान आत्महत्या कर मर जाते हैं ।।
आती न शर्म हमको , जमीर मर गया हमारा ।
हमको कुछ नही कहना जुबाँ बंद है हमारा ।
चोरी , घुसखोरी , माफिया राज और घोटाले
ए सब हमारे मेडल , हमने गले में डाले ।
टूटी सड़कें, अंधेरे में डूबे गाँव, बारिश में तालाब बनते शहर,
मीड डे मील खाकर मरते बच्चे, रोज औरतों पर टूटते कहर ।।
ये कहानियाँ नहीं हैं यही सच है हमारा ।
हमको कुछ नही कहना जुबाँ बंद है हमारा ।
सरकारों ने साधी चुप्पी , न देखती न सुनती
बेबस बेचारी जनता सड़कों पर नाचती कुदती ।
अन्ना ने किया अनशन , जनता ने दिया धरना
हासिल हुआ न कुछ भी हुआ दीवार से सिर मारना ।।
लोकपाल बिल को संसद में पटखनी दे मारा ।
हमको कुछ नही कहना जुबाँ बंद है हमारा ।
राज कुमार गुप्ता – “राज“
खूबसूरत………
धन्यवाद बब्बू जी ।
राज कुमार जी आप ने आज के दौर की तस्वीर बना डाली बहुत खूब …………………..
सराहना के लिए धन्यवाद मनी जी ।
बहुत खूबसुरत कटाक्ष……..।।
बहुत ही बढ़िया ……………………………… राजकुमार जी !!