“शरीके हयात”.
जब से उनकी नजरो मे झांक कर देखा है ।. बेशूमार प्यार हमने अपने लिए देखा है ।
झुकी हुअी नजरो से जब सलाम उन को भेजा ।
ख्यालो मे मेरे उन्हे खोया हुआ देखा है ।।.
मस्ती मे बेखबर दुनिया से हुए हम ।.
होश मे आने का इन्तजार करते उन्हे देखा है ।।
शिकवा शिकायत होती रही हमेशा ही ।.
जीतकर भी हमसे उन्हे हारते हुए देखा है ।।
रुतबा शरीके हयात अदना न है आशफाक
सबकुछ लुटाकर भी उन्हे रोते नही देखा है।।
Laajwaab……antim pankti to kamaal……
बेहतरीन रचना ………………….
bahut hi umda lafz………………….
उम्दा..
लाजवाब..
बहुत खूबसुरत ।।
मंत्र मुग्ध करने की कला है आपमे