नभ के नवरंग जैसा जीवन हो सुनहरा
खुशियों की बौछारे हो हर सांझ सवेरा
स्वप्नों सा स्वर्निम ज़िंदगी,हो चाँदनी निशा
तेरी धानी चुनरियाँ खुशियों का है बसेरा
रहे विमल मन,रहे सदा पुलकित ज़िन्दगानी
तू सुरमई शाम दीवानी,तू फूलों की रानी
बहे प्रेम की नदिया,जले प्रेम की ज्योति
बरसे आँगन में मधु की बुंदे झीनी-झीनी
उन्हे मिले नई उमंगे,हो जीवन मधुमास
माँगू रब से दुआ यहीं तू रहे मीत सदा
राह में खिले तेरी जूही,चम्पा,चमेली
तेरे आँगन रहे गुलज़ार न हो कभी खज़ा
आ रही पूर्वइयाँ ,छा रही है बदरिया
रेशम जुल्फें उडे मिल जाये तुझे साँवरिया
मन तेरा मधुबन लगे कंचन तेरी काया
बन जा कान्हा की तू दीवानी हरिप्रिया
खिड़की से झाँके ज़िंदगी सात रंगो के इंद्रधनुष
घर-आँगन को आलोकित करे ज्योति हर संध्या
ये कुदरत जन्म दिन पर उसे दे कोई हँसी तोहफ़ा
दुष्यंत की लेखनी तेरी सूरत की क्या करे बयाँ
Dushyant kumar patel ^^^^****
बहुत खूबसूरत प्रेम भावाभिव्यक्ति …..अति सुन्दर दुष्यंत !!
बहुत ही खूबसूरत भावों से भरी…..
D.k. Sir ji ,babu ji bahut bahut abhar
अच्छा प्रयास है, यूँही लिखते रहिये दुष्यंत पटेल जी!
सुरेन्द्र जी आभार