सोलह हो गई उमरिया – गीत
चमके बिजुरिया लचके कमरिया
उडी – उडी जाए मोरी चुनरिया
सोलह हो गई उमरिया
अब जायें तो जायें कहाँ
हाये – अब जायें तो जायें कहाँ
घर से निकली पीछे पड़ गए
सब कहें मुझे रानी
हम तो तेरे दीवाने हैं
हो जा तू भी दीवानी
मुश्किल हो गई हमरी डगरिया
अब जायें तो जायें कहाँ
हाये – अब जायें तो जायें कहाँ
कोई मुझको दिल देता
कोई देता मुझ पे जान
हर तरफ ये शोर है
तू हो जा मेहरबान
ये देख घबराये मोरा जियरा
अब जायें तो जायें कहाँ
हाये – अब जायें तो जायें कहाँ
सोलह साल के हो के
मैं तो बड़ा पछताई
चढ़ती जवानी देख अपनी
मैं थोड़ा शरमाई
किसको दूं मैं दिल की खबरिया
अब जायें तो जायें कहाँ
हाये – अब जायें तो जायें कहाँ
गीतकार : सर्वजीत सिंह
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bahut khubsurat geet…………………sarvajeet ji………………..
बहुत बहुत आभार ………………………. मनी !!
वाहहहह बहुत सुंदर सर्वजीत जी बधाई
बहुत बहुत आभार ………………………. अभिषेक !!
आप जियरा को संभाल रखो….हमें बहुत और सुन्दर रचनाएं चाहये……लाजवाब……..
तहे दिल से शुक्रिया …………………………. शर्मा जी !!
बहुत ही सुंदर गीत लिखा है आपने …………बेहतरीन………..बधाई………
आपकी प्रशंसा और स्नेह के लिए ………………………………. बहुत बहुत आभार विजय जी !!
सर्वजीत जी बहुत ही अच्छे शब्दो को पिरोकर एक दिल को छू लेने वाले गीत की रचना की है आपने l
आपकी प्रशंसा और स्नेह के लिए ………………………………. बहुत बहुत आभार राजीव जी !!
बहुत खूबसूरत प्रेम युगल गीत ………शमां बाँध दिया ….अब तो बस संगीत बद्ध कर दीजिये इसको !!
तहे दिल से शुक्रिया निवतियाँ जी ………………………. हर गीत लिखते वक़्त ही लयबद्ध हो जाता है पर हाँ संगीत बद्ध करना बाकी है ————————– बहुत बहुत आभार !!
अति सुंदर गीत सर्वजीत
तहे दिल से शुक्रिया …………………………. मधुकर जी !!
बहुत सुंदर गीत लिखा आपने सर्वजीत जी ।
आपकी प्रशंसा के लिए ………………………………. बहुत बहुत आभार काजल जी !!
Bahut hi khoobsurat rachna..sir..
आपका बहुत बहुत आभार …………………. स्वाति जी !!
सर्वजीत सिंह जी बेहतरीन गीत लिखा है आपने। काश इसे सुनने को मिल जाता तो मन की पूरी मुराद पूरी हो जाती ।
तहे दिल से शुक्रिया सुरेन्द्र जी ………………………………. गीत की धुन तो बनी हुई है कोशिश करेंगे कि आपको गा के सुना सकें !!
क्या बात है सर्वजीत सर
वाह वाह वाह
आपका बहुत बहुत आभार …………………. अरुण जी !!