सावन का महीना ज्यों ज्यों ही पास आता हैं
उमस भरा मौसम सकल लोगों को सताता हैं
गोरियां राहत के लिए जो उपाय अपनाती हैं
उस से तो सावन में उमंगों की बहार आती हैं
झूलो का पड़ जाना मरा एक निरा बहाना है
असल खेल तो खुद को तपिश से बचाना है
मेहंदी के लाल रंग जब हाथों में लग जाते हैं
उबलते बदनो को वो ठण्डी राहत दिलाते हैं
झूलो के करम से सब पीड़ाएँ जब मिटती हैं
सजना से मिलन को फ़िर हूक सी उठती हैं
इशारों में गा गा कर जो मन के भेद बताते हैं
वही सब तो सावन के मधुर गीत कहलाते हैं
गोरी के मायके से मिठाइयां जो भी आती हैं
वो भी तो पाक मिलन की खुशियां मनाती हैं
शिशिर मधुकर
सावन का विज्ञान
मजा आया सर ……..झूला तो एक बहाना है
असल वजह तो तपस से बचाना है, क्या खूब कही आपने।
इशारो में जो गाकर गीत सुनाते है, वाही मधुर गीत कहलाते है।
सावन के विज्ञान की आपने यथोचित व्याख्या दी है मधुकर सर!
सर प्रथम पंक्ति में ज्यों ज्यो ही पास आता है के बजाय ज्यों ज्यों पास आता है, मुझे ज्यादा सटीक लग रहा है। एक बार आप प्रवाह को देखिएगा। मेरा भ्रम भी हो सकता है
हार्दिक आभार सुरेंद्र ……………..
क्या वर्णन किया है आपने सावन के विज्ञानं का ……………………. लाजवाब मधुकर जी !!
बहुत बहुत धन्यवाद सर्वजीत …………..
वाह….कलम का जादू……हर पंक्ति लाजवाब….क्या सावन की छटा को बिखेर है…..अप्रतिम….. बेहतरीन…….
आपकी मुहब्बत का बहुत बहुत शुक्रिया बब्बू जी
sawan ka jhula aur mayke ki mithaiya wah shishir ji……………
हार्दिक आभार मनिंदर
बहुत सुंदर शिशिर जी। झूले और मेहँदी से आप ने फिर से बचपन की याद दिला दी।
रचना पसंद करने के लिए शुक्रिया मञ्जूषा जी
वाहहहह बहुत सुंदर शिशिर जी बधाई
बहुत ही सुंदर………………….
बहुत बहुत शुक्रिया अभिषेक
धन्यवाद विजय ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
शिशिर साहब सावन के महीने के महत्व को बहुत ही खूबसूरती के साथ पेश किया है आपने l
धन्यवाद राजीव जी……………
गोरी के मन खूब पढ़ा है आपने ……….बहुत खूबसूरत शिशिर जी !
धन्यवाद निवतियां जी …………….
बहुत सुंदर रचना शिशिर जी ।
दिल से शुक्रिया काजल जी
Bahut sundar saavan geet…sir
So nice of you Dr Swati for liking this work.
बहुत सुंदर कृति
बधाई स्वीकार करें
हार्दिक आभार अरुण जी …..