प्रचंड बाढ़
खौफनाक मंजर
अवर्णनीय!!
जल शैलाब
आया बन प्रलय
अकल्पनीय!!
तम से घिरी
आपदा भरी निशा
असहनीय!!
बेघर जीव
अस्त-व्यस्त जीवन
अकथनीय!!
बेबस आँखें
सब बदहवास
अविस्मर्णीय!!
देती दस्तक
भीषण महामारी
अवांछनीय!!
मृदाक्षरण
फसल की बर्बादी
अपूरणीय!!
विनाश लीला
प्रकृति का सन्देश
विचारणीय!!
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सुरेन्द्र नाथ सिंह “कुशक्षत्रप”
बहुत सुन्दर हाइकु बाढ़ विभीषिका पर, अति सुन्दर…,
धन्यवाद मीना जी, असम में इस समय प्रलयकारी बाढ़ आई हूई है जिस में मै भी फसा हूँ।
बस उसी मंजर को हाइकू से रच दिया हूँ!
आपकी व्यथा समझ सकती हूँ ,ब्रह्मपुत्र और सहायक नदियों में भारी बारिश के कारण हर वर्ष बाढ़ आ ही जाती है और इस आपदा का सामना वहाँ रहने वाले करते हैं ।ईश्वर अनुकम्पा करें कि वहाँ की नदियों का जल-स्तर कम हो और बाढ़ का प्रकोप शान्त हो।
आदर्णीय मीना जी, इश्वर आपकी प्रार्थना सुनें, क्योकि हम सभी की भी यही आवाज है।
बेहतरीन …………शानदार रचना. शब्दों का बाढ़ के परिपेक्ष्य में अति उत्तम उपयोग सुरेंद्र.
आशीर्वाद के लिए धन्यवाद शिशिर सर जी!
वाह क्या बात है ज़बरदस्त शब्दों का चयन, बाढ़ विभिषका का ज़बरदस्त वर्णन ……………………………. लाजवाब सुरेन्द्र जी !!
सर्वजीत सिंह जी कोटि कोटि धन्यवाद, प्रशंशा भरी प्रतिवचन के लिए
भाई….कमाल कर दी….शब्दों का चयन और हालात का ब्यान…..सब कुछ बेहतरीन…..लाजवाब…..बेमिलसाल…..
सी एम् शर्मा जी अत्यंत आभारी हूँ आपका! खुबसूरत प्रतिक्रिया के लिए!
Surendranath jee- badh ke uper aapki kavita men ati sunder sabdo ka samavesh hai – bahit hi sunder, bhagwan aapko sammati de aur aap badh se nikal kar apne ghar aye, yahi dua hai .
बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा जी आपकी प्रशंशा भरी प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद!
बाढ़ की विभीषिका तो असम की नियति बन गयी है बिन्देश्वर जी। इश्वर आपकी बात सच करें!
kabiletarif sir………………
Dhanyvaad mitr maninder ji
वाहहहह बहुत सुंदर सुरेन्द्र जी बधाई
Dhanyvaad mitr abhishek ji
बेहतरीन …………शानदार रचना.
आदरणीय विजय जी, धन्यवाद!
सुरेंद्र जी सच के आईने से दयनीय स्थिति को दिखाना और उस स्थिति से गुजरना बहुत मुश्किल है मेरी ईश्वर से प्राथना है की ईश्वर इस बाढ़ के मंजर को रोक दे ताकि मेरे सभी भाई बहिन रहत की साँस ले सके l
राजीव जी आपका अनवरत प्यार से भरी प्रतिक्रियाओं के लिए मै कृतज्ञ हूँ।
धन्यवाद आपका!
बहुत खूबसूरत हाइकु किसी ……….विषय विशेष पर लिखना इतना सरल नही होता… विशेषकर किसी विधा में बंधकर एक लय में तर्कसंगत बनाना आपकी सृजनशीलता को दर्शाता है ……..बहुत बेहतरीन !!.
श्रद्धेय निवातिया जी आपको को देखकर ही लिखना शुरू किया हूँ। कुछ दिन पहले आपकी सावन पर हाइकू देखी थी। बस वहिन् से प्रेरणा मिली।
आपके निरंतर उत्साहवर्धन के लिए आभार!
बहुत बहुत सुंदर सुरेंद्र जी ।
काजल जी धन्यवाद आपका
बहुत ही खूबसूरत हाइकु सुरेंद्र जी
दुष्यंत जी धन्यवाद
Very nice creation…sir..
स्वाति जी, आपको धन्यवाद!
शब्दों और भावों के इस जादूगर को नमन!
बस एक ही प्रतिक्रिया_
लिखतें रहें
यूँ ही अनवरत
लेखनी बढ़े
…..बहुत खूब सर!
अरुण तिवारी जी धन्यवाद!