अबकी सावन में झलुवा झुलाईदा पिया
बनारस घुमाईदा पिया ना
संकट मोचन देखावा
मानस मंदिर घुमावा
बात माना मोर जिया बहलाईदा पिया
बनारस घुमाईदा पिया ना
सारनाथ हम जइबै
दिल से मथवा झूकइबै
हमका बुद्ध उपदेश सूनाइदा पिया
बनारस घुमाईदा पिया ना
पंडित मालवीय के महिमा
देखब बी एच यू के गरिमा
डीजल रेलिया पर हमके
बइठादा पिया
बनारस घुमादा पिया ना
देवों में देव विश्वनाथ
के झुकावल जाई माथ
काशी कोतवाल दर्शन कराईदा पिया
बनारस घुमाईदा पिया ना
डॉ सी एल सिंह
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मुझे लोकल भाषा का ज्ञान नहीं है लेकिन रचना पढने में अच्छी लगी. सुंदर……………….
डॉ. सिंह आपने मुझे अपने BHU के दिनों की याद दिला दी .बहुत सुंदर रचना
किसी भी क्षेत्रीय भाषा में लोक गीतों की अपनी अलग पहचान होती है ……भोजपुरी भी उन्ही में से एक है ..इस रचना के माध्यम से उसको बखूबी पेश किया है आपने …..अति सुन्दर !
bahut badiya sir…………….ab to gumaidiyo piya…………………..
देखिये हम प्रार्थना करते हैं की आप जल्दी घूमने जाओ….पर हमको ले जाना मत भूलियो…..लोक गीतों का जो आनंद है कहीं और है ही नहीं…..बेहद खूबसूरत….मजा आ गया…..
बनारस खूब घुमिये और घुमाइये ………………………………. बहुत बढ़िया लाल जी !!
उत्तम कजरी!………………बहुत खूब!
आप सभी महामनस्वी जनों को दिल से धन्यवाद
बेहतरीन छोटे लाल जी क्या बात है l