मैं तुझसे आज इस कदर रूठा हूँ।
आँखे बंद कर हकीकत से मुंह मोड़ बैठा हूँ।
शायद तू आ जाये वापस मुझे मनाने।
सारे गमो से रिश्ता जोड़ बैठा हूँ।
तेरा मेरा एक छोटा सा संसार
बाकि सारी दुनिया का मोह छोड़ बैठा हूँ।
बस तेरे इन्तजार में थम जाये ये लम्हा
वक़्त की घड़ी से सुईंया तोड़ बैठा हूँ।
तेरे लिये सिर्फ तेरे लिये ……..
शीतलेश थुल !!
विरह अवसाद का अच्छा चित्रण
बहुत बहुत धन्यवाद मधुकर जी।
beautiful expression of hear feeling.
बहुत बहुत धन्यवाद निवातियाँ साहब।
nice lines……………….
धन्यवाद मणि जी।
Khoobsoorat……
बहुत बहुत धन्यवाद शर्मा जी।
वियोग को दर्शाती उम्दा रचना!
बहुत बहुत धन्यवाद सिंह साहब।