वक़्त और हालात मैं नही बदल सकता ,
और ना ही भाग्य का लिखा।
मैंने तो सिर्फ अपनी सोच बदली ,
बाकि सब अपने आप बदल गया।
और दोस्त कहने लगे “शीतलेश बदल गया”।
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तेरी और मेरी दास्ताँ भी कितनी अजीब है।
बयां करने जो बैठा अल्फाज़ो ने साथ छोड़ दिया।
सोचा लिख कर ही बतायेंगे अपने अफ़साने।
कोरे कागज़ ने ही सब कुछ बयां कर दिया।
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शीतलेश थुल !!
Lovely write…………………..
आपका आशीर्वाद है शिशिर जी।
लाजवाब…………….
सधन्यवाद श्रीमान।
bahut khub…………………….
बहुत बहुत धन्यवाद सिंह साहब।
अति सुंदर ……………..!!
बहुत बहुत धन्यवाद निवातियाँ साहब ।
behtarin………………….
बहुत बहुत धन्यवाद मणि जी।
सुंदर रचना *************
बहुत बहुत धन्यवाद काजल सोनी जी।
बेहतरीन…………………….!
पुनः धन्यवाद सिंह साहब।