सुरसरि सूर्यतनया निर्झर तरंगिनी
आनन्थु आतप ऐवारत रोशनी
अम्भोज रत्नाकर हिमाद्रि शैवालिनी
अमृत हरिप्रिया अधोलोक नन्दिनी।
तूॅ कर्णधार संपदा हेमवती
तूॅ पोषक वेद ़ऋचा विभूति
तूॅ करूणा आमोद सरित्पति
मानस ओजस्विता तूॅ संसृति।
देवापगा अपने स्वर्ण सारंग से
सत्य.न्याय स्वर गुंजित कर दे
दूर कर उत्पीड़न सारी
चित् लालिमा से तू भर दे।
तेरो प्रताप महामुनी ज्ञानी
चमत्कार धर्मभीरू ध्यानी
समादरितं उर तामरस ईहा
कर कल्याण सोन मन जूहा।
तरंगिनी – NADIAN, सुरसरि- BHAGIRATHI/GANGA,सूर्यतनया- SURYA KE TAN SE NIKAL HUA (SURYA KE SAMAN),आतप- SURYA KA PRAKASH,अम्भोज-KAMAL/CHANDRAMA,रत्नाकर-SAMANDRA/ RATNO KE SAMUH,हिमाद्रि HIMALYAPRABAT,अधोलोक- PATAL,अधोलोक-AANAND/ HARSH,संसृति-PRANWAYU,सारंग- DHANUSH,सारंग- DHARMSHIL,समादरितं-DARAHUA SA/ WIDIRN,
तामरस-BHAY ME DUBA HUA,ईहा- ISH JAGAH.
बी पी षर्मा बिन्दु
बी पी षर्मा बिन्दु
Writer Bindeshwar Prasad Sharma (Bindu)
D/O Birth 10.10.1963
Shivpuri jamuni chack Barh RS Patna (Bihar)
Pin Code 803214
शर्मा जी जिस प्रकार कविता में अलंकारो का प्रयोग किया गया है। हिंदी भाषा गौरवान्वित हो उठी है।
Sitlesh jee – aapki pratikriya aur prasansa ke liye bahut dhanyabad.
बिंदु इस रचना में कुछ कठिन शब्द है अगर आप उनके अर्थ साथ में लिख देते तो मुझे पढ़ने में आसानी होती…………….निवेदन है आप से बुरा ना मानियेगा………………..
Mani jee main aapke kathan par dhyan diya huan, maine apni kavita ke niche pankti me kuch arth aspast kar diyen hai. thank you bahut- bahut sukriya.
बिदेस्वर जी अत्यधिक संस्कृत और थोड़े कठिन शब्दों के सम्मिलन से मुझ जैसे तुक्क्ष ग्यानी को समझने में समस्या आ रही है। जैसा मनी जी कह रहे है, अगर आप कुछ शब्दों के अर्थ लिख देते तो भाव समझ में आ जाता।
आप अन्यथा मत लीजियेगा, पर सरल शब्दों में आपकी रचना बहुत ही अच्छी होती है और मानस पटल पर पढने के बाद अंकित हो जाती है।
तरंगिनी – NADIAN, सुरसरि- BHAGIRATHI/GANGA,सूर्यतनया- SURYA KE TAN SE NIKAL HUA (SURYA KE SAMAN),आतप- SURYA KA PRAKASH,अम्भोज-KAMAL/CHANDRAMA,रत्नाकर-SAMANDRA/ RATNO KE SAMUH,हिमाद्रि HIMALYAPRABAT,अधोलोक- PATAL,अधोलोक-AANAND/ HARSH,संसृति-PRANWAYU,सारंग- DHANUSH,सारंग- DHARMSHIL,समादरितं-DARAHUA SA/ WIDIRN,
तामरस-BHAY ME DUBA HUA,ईहा- ISH JAGAH.
बी पी षर्मा बिन्दु
अति सुन्दर………….,
MEENA JEE – APNE HRIDAY SE AAPKI PRATIKRIYA KA ABIWADAN KARTA HAUN.
Surendra sahab jee maine aapki bat par dhyan dia hai aur kuch sabdo ke arth bhi aspast kari hai. pratikriya ke liye bahut dhanyabad.
बहुत खूबसूरत बिंदु ………….संस्कृत भाषा हिंदी की मूल भाषा है इस रचना में खूबसूरत शब्दावली का प्रयोग किया बहुत ही सम्मानीय कार्य किया है इसके लिए आप बधाई के पात्र है …………….स्वंय को एक तुच्छ प्राणी समझते हुए परामर्श स्वरुप कहना चाहता हूँ की शब्दो के सही तालमेल और लय को बनाये रखने के सम भाषा के प्रयाय शब्द तालाश कर उपयोग करे तो रचना की तारमीयता और अधिक रोचक होगी !!
पुनः धन्यवाद आपको !
D K Sahab aapsab ki har ek sujhaw har aadmi ke unnatty aur tarakki ke liye jaruri hai , Main iska samman karata huan. thank you.