नभ में घनघोर घटा घिर आई!
बहने लगी अल्हड पुरवाई!
वर्षा ऋतु आई, वर्षा ऋतु आई!!
छैल छबीली वर्षा रानी
यौवन पर है तेरी जवानी!
बादल हो तेरे प्यार में पागल
करने लगा अपनी मनमानी!!
मनुज मन भी लेता अंगडाई
वर्षा ऋतु आई, वर्षा ऋतु आई!!
सजकर किया सोलह श्रृंगार
खिला है तेरा रूप अपार!!
धरा पर मत गिराओ बिजली
खेत डूबे कही आई बाढ़!!
सरि-सिन्धु मिलन को उफनाई
वर्षा ऋतु आई, वर्षा ऋतु आई!!
देख यौवन नाचे मोर
दादुर भी करता है शोर!
अब तो आ जा प्राणप्रिये
पपीहा के आशा की डोर!!
विरहन विरह में गीत सुनाई
वर्षा ऋतु आई, वर्षा ऋतु आई!!
गावत मेघ मस्त मल्हार
झूले महुआ अमुआ डार!
पनघट बगिया गैल अटरिया
निर्झर बहती बतरस धार!!
वसुधा ओढ़ हरी चुनर मुस्काई
वर्षा ऋतु आई, वर्षा ऋतु आई!!
वर्षा ऋतू का अमृत पानी
नव सृजनता की निशानी
नभ जल थल नवांकुरित
नवयुग की कहता कहानी
क्षत्रप हर्षित मन बाजे शहनाई
वर्षा ऋतु आई, वर्षा ऋतु आई
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सुरेन्द्र नाथ सिंह “कुशक्षत्रप”
अद्भुत रचना मन प्रसन्न हो गया
धन्यवाद डॉ सिंह जी!
वाह….अब पता चला वर्षा ऋतू आयी….जब तन भीगा मन पुलकित हुआ आपकी प्यारी…मनमोहक रचना से…. लाजवाब……..
धन्यवाद babucm जी। सब आपकी अनवरत प्रतिक्रियाओं का प्रतिफल है।
bahut badiya surendr ji…………..bhigho hi dala aapne….
मनिंदर जी आपके असीम स्नेह के लिए धन्यवाद!
वर्षा ऋतु के आगमन से सचमुच मन प्रफुल्लित हो गया है
बहुत सुन्दर रचना सुरेंद्र जी ।
धन्यवाद काजल जी……
बहुत खूब. बधाई……………..
धन्यवाद विजय जी!…….
बहुत उम्दा । लाजवाब बधाई…………… सुरेंद्र जी ।
अभिषेक जी धन्यवाद! बधाई स्वीकार!
वर्षा ऋतु का बहुत ही सजीव चित्रण किया है सुरेन्द्र जी.
मीना जी आपको अति आभार !
सुरेंद्र जी आपकी खूबसूरत सोच के साथ एक खूबसूरत रचना l लाजवाब …
राजीव गुप्ता जी प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद!
शानदार रचना सुरेंद्र. बेहद खूबसूरत
शिशिर मधुकर जी धन्यवाद!
क्या मनोरम चित्रण किया है आपने वर्षा ऋतू का, मज़ा आ गया ……………………… ज़बरदस्त सुरेन्द्र जी !!
धन्यवाद अग्रज आदरणीय सर्वजीत सिंह जी!
बहुत खूबसूरत लयबद्ध गीत का सर्जन किया है आपने वर्षा ऋतू के संदर्भ में प्रत्येक पहलु को छूकर एक एक शब्द को बड़ी तारमियता से सजाय गया है……..बहुत अच्छे सुरेंद्र !!
धन्यवाद निवातियाँ जी। यूँही उत्साहवर्धन करते रहें।