बेरुखी
ज़िंदगी भर उनकी बेरुखी को
निभाते चले गए हम …………………………
पर जब हमनें बेरुखी दिखाई
तो वक़्त ना लगा उनको मुँह फेर के जाने में ………………………………….
शायर : सर्वजीत सिंह
[email protected]
बेरुखी
ज़िंदगी भर उनकी बेरुखी को
निभाते चले गए हम …………………………
पर जब हमनें बेरुखी दिखाई
तो वक़्त ना लगा उनको मुँह फेर के जाने में ………………………………….
शायर : सर्वजीत सिंह
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Painful truth ………………..
Thank you very much …………………….. Madhukar Jee.
सर्वजीत जी प्यार की कच्ची डोरी को बहुत ही अच्छी तरह से दिखाया है आपने l
बहुत बहुत आभार ………………………. राजीव जी !!
सैदव की तरह बेहतरीन जज्बात !!
तहे दिल से शुक्रिया ……………………….. निवतियां जी !!
सत्य वचन…………………..अति सुंदर……………….
बहुत बहुत धन्यवाद ………………………. विजय जी !!
bahut badiya sir………………………..
बहुत बहुत धन्यवाद ………………………. मनी !!
बड़ा नाजुक प्यार दर्शाया **********अति सुंदर
बहुत बहुत आभार ………………………. काजल जी !!
या तो शुरू से न बेरुखी लेते अब सहन कर रहे थे तो एक बार और करने में क्या जाता….पंगा ले लिया….पर अच्छा किया देर आये दुरुस्त आये हा हा हा?…….लाजवाब से कम तो मजा हो नहीं….?
आपकी बेमिसाल तारीफ के लिए तहे दिल से शुक्रिया ……………………….. शर्मा जी !!
सर्वजीत जी, लोग दुःख देना जानते है पर दुःख बर्दास्त करना नहीं। आपने इस शायरी में काफी वास्तविक बात लिखा है।
उम्दा शायरी के लिए साधुवाद संग बधाई!
सर्वजीत जी मैंने वर्षा ऋतु पर एक गीत पब्लिश की थी 29 जुलाई को सुबह! आप एक बार कृपया देखिये और अपने सुझाव या विचार दीजिये!
तहे दिल से शुक्रिया …………………………. सुरेन्द्र जी !!
काबिले तारीफ़ रचना जितनी भी प्रशंसा किया जाय कम है
तहे दिल से शुक्रिया …………………………. लाल जी !!