वर्शारितु है मस्तानी,कर जाती है सबको दीवानी।
वर्शाकाल का है अनोखा अन्दाज,
हरियाली फेली है जारो जार।
लहरा रहे है खेत खलियान’
फिर तो खुशी का है ना कोई बखान।
वर्शा भर देती है मयुरो मे जान,
तभी तो अनोखी है इसकी शान।
इससे पौधो का होता पोशण,
यौवन मे भी इससे होता शोशण।
जीव जन्तुयो के दिलो को करती आबाद,
तभी बेसबरी से होता इसका इन्तजार।
भूमी मे पड जाती इससे जान तमाम,
किसानो के भी खेत खिल जाते सुबह – शाम,
और अजर को खिलाते पकवान।
वर्शारितु है मस्तानी,कर जाती सबको दीवानी।
वर्षा ऋतु का अदभुत विवरण।
badiya urmila ji…..
Khoobsoorat……