तुम्हारी ऑखे जो शबनमी सी लगती है ।
दुर होकर मुझसे ,
इनमे कुछ नमी सी लगती है ।
क्या तारीफ करु मै इनकी ,
तुम्हारी इन ऑखो से तो ,
अंधेरी रातो मे भी रोशनी सी लगती है ।
ऑखे तुम खोलती हो और जागता मै हु ।
नजरे गुम हो जाते है मेरे ,
पलके झपकती जब तुम हो ।
गैर होकर भी इनसे कुछ दोस्ती सी लगती है ।
तुम्हारी ये ऑखे जो शबनमी सी लगती है । ।
” काजल सोनी ”
very beautifully written……
धन्यवाद आपका मैम।
काजलजी….पता नहीं क्यों मैं पहली बार आपकी रचना से जुड़ नहीं पा रहा…..आपकी रचना बहुत ही सुदृढ़ होती है….कम लफ़्ज़ों में गहरी बात…..भाव आपके हमेशा बहुत सुन्दर होते हैं…..कृपया माफ़ करना मुझे…हो सकता मेरी समझ में नहीं आयी……
सर्मा जी कृपया आप मुझे कोई भी प्रतिक्रिया देने मे संकोच न करे ।
मेरे लिए बहुत ही अच्छी बात है कि
आप सब मिलकर मुझे कम शब्दो मे अधिक सीखा
रहे है । आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।
पर संकोच करने के लिए एक धन्यवाद वापिस करे ।
सच में आपने भावविभोर कर दिया विशाल ह्रदय से जैसे आपने प्रतिकिर्या को लिया….आपकी भावनाओं को सलाम…..हाँ वापिस कभी कुछ नहीं करते हम…. हा हा हा….
ऑखे तुम खोलती हो और जागता मै हु ।
नजरे गुम हो जाते है मेरे ,
पलके झपकती जब तुम हो ।
काजल जी यह पंक्तियाँ रचना के हिसाब से सेट नहीं हो पाई है। एक बार फिर प्रयास करिए।
सुरेंद्र जी सही कहा आपने ।मै पुनः प्रयासरत हु ।
आपकी प्रतिक्रिया के लिए कोटी कोटी आभार आपका ।
Very nice Kajal ji .
मीना जी आपका धन्यवाद ।
बेहतरीन…………शानदार.हर शब्द में दीवानगी भरी है. नज़र की जगह नज़ारे होगा शायद.
शिशिर जी कोटी कोटी धन्यवाद आपका ।
पर आप भी मुझे सीखने से कृपया पीछे न हटे ।
मैंने नजारे ही लिखा था ।ये मेरी टाइपिंग मे गलती हुई है ।
nice write kajal ji…………………..
मनी जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका ।
बहुत खूबसूरत ह्रदय के भावो का बेहतरीन अल्फाजो में बयान… अति सुन्दर काजल …कृपया तीसरे पद में सुधार करे तो बेहतर होगा !!
जी जरूर निवातिया जी । कोटी कोटी आभार आपका ।
बेहतरीन………………………..
विजय जी कोटी कोटी धन्यवाद आपका ।