भारत के पूर्व राष्ट्रपति,हम सब के प्रेरणा श्रोत और आदर्श पुरुष ‘मिशाइल मैन’ डाक्टर कलाम के इंतकाल के एक वर्ष पूरे होने पर हम सब की ओर से सादर श्रद्धांजलि में;
कलाम बन!
कलाम बन!
उठाये यन्त्र तन्त्र सब,
ये राष्ट्र हो अटल सबल|
करें नवल प्रयास अब,
हो धीर वीर द्रुत अनल|
तिलांजलि हो कौम की,
तू नाम बन! तू नाम बन!
कलाम बन!
कलाम बन!
अनन्त ज्ञान सृजन बेलि,
बना कलम बढ़े चढ़े!
ले राष्ट्रभाव हेल-मेलि,
युवा सुवीर चल पड़े!
विशिष्टता की धार पे,
शिष्टता तू आम बन!
कलाम बन!
कलाम बन!
हो मृत्यु जो अगर कहीं,
तो जग खड़ा रुदन करे|
जो लक्ष्य हो सफल नहीं,
तो नव सृजन कदम सधे!
तू हिन्द की दीवार सम,
आन बान शान बन!
कलाम बन!
कलाम बन!
-‘अरुण’
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कलाम जी को श्रद्धांजलि
अद्भुत कविता लिखी आपने
धन्यवाद डाक्टर साहब!
इसके पीछे कहीं न कहीं आप सब की प्रेरणा व् आशीष ही है।
शानदार श्रद्धांजलि अरुण जी
धन्यवाद सर जी…..
बेहतरीन रचना है श्रधेय कलामजी को श्रधांजलि के रूप में….सच में वो भारतीय थे…निस्वार्थ…निष्कपट…हंसमुख…सादा जीवन….यह उनकी पहचान थी….आपने अंतिम पद में भावविभोर कर दिया दोस्त….
हो मृत्यु जो अगर कहीं,
तो जग खड़ा रुदन करे|
जो लक्ष्य हो सफल नहीं,
तो नव सृजन कदम सधे!
तू हिन्द की दीवार सम,
आन बान शान बन!
मेरा सलाम कलामजी….और आपकी रचना को…..
आप के ये शब्द मुझे मजबूत करेंगे। आप निश्चय ही एक उच्च राष्ट्रप्रेमी हैं। आप के इन भावों को नमन!
bahut behtarin arun ji……………………….
धन्यवाद अभिषेक जी
धन्यवाद मनी जी….
अरुण जी बहुत सुन्दर **************
धन्यवाद मैम…….
अति सुंदर रचना…………………..
सर आपका कोटिशः आभार
भारत के महान सपूत और सच्चे अर्थो में स्वप्न को साकार करने वाले कलाम को कविता के माध्यम से श्रद्धा सुमन!
धन्यवाद सर जी…
आपकी रचनात्मकता को नमन अरुण बहुत खूबसूरत !!
धन्यवाद श्रीमन्……
वाह । अति सुन्दर सृजन ।
धन्यवाद शर्मा जी……