देखू मैं भी इस जहान को ,,,,
खुदा ने बनाया जिसको ,,,,
रहमत है खुद की तुम पे,,,
कि उसने दी है आँखे तुम को ,,,,
बस एक वादा चाहता हूं तुम से ,,,
कि मृत्यु के बाद नेत्रदान का संकल्प करो मन से ,,,,
ताकि मुझे भी मिल जाय आँखे ,,,,
और मैं भी देखू इस जहान को ,,,,
मरने के बाद तो ये जल के ख़ाक हो जायेगी,,,,
क्यूँ ना इसे बना के तोहफा अपने मरने के बाद दे दो मुझको ,,,,
ताकि मरने के बाद भी,,, ,
मेरे संग देख सको इस जहान को तुम भी ,,,,
रंग क्या होते है हमको पता नही ,,,,
हम तो जानते है बस काले रंग को ही ,,,,
भर देगी इंद्रधनुष के रंगों से मेरी जिंदगी ,,,,
तुम्हारी ये छोटी सी कसम नेत्रदान की ,,,,
दिखती है ये दुनिया कैसी ,,,,
हमे भी तो देखनी है ,,,,
अब तक जाना है खुदा की मूर्त को हाथो से ,,,,
अब आँखों से उसकी सूरत देखनी है ,,,,
इसलिए करो प्रण नेत्रदान का हर कोई,,,,
ताकि रंगों से भरी इस दुनिया को ,,,,
देख सके हर कोई।
नेत्रदान पर सुंदर रचना……………!
सुंदर भाव
सुंदर कृति
वाह
मन मोहित कर लिया आपने …..
बहुत ही बेहतरीन भावों से रचित है रचना आपकी…..दोस्त बहुत बेहतरीन संदेशा दिया है आपने….जय हो….
आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया
behtarin………..
नेत्र दान करने को प्रेरित करती आपकी रचना सराहनीय है ।
अच्छे विषय पर सुन्दर कृति !!