मधुकर जी आपका कथन भी सही है ।पर सायरी या गजल मे क्या शुध्द हिंदी शब्दो का प्रयोग उचित होगा या हल्के फुल्के उर्दू शब्दो का ।मुझे आपसे ज्यादा जानकारी तो नही है बस आपसे पूछना चाह रही हु । रचना पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका ।
काजल जी. ग़ज़ल तो हिंदी में भी लिखी जाती है. दुष्यंत कुमार जी को जिसका जनक माना जाता है. मेरा मानना है शुद्ध हिंदी का तो हम में से अरुण जी, सुरेंद्र जैसे कुछ कम लोग ही करते हैं. बाकी सब की भाषा में तो अन्य भाषाओँ के शब्द भी सम्मिलित रहते हैं. नदियाँ की जगह दरिया भी प्रयोग किया जा सकता है
शब्दों में…गोलमाल…जिस ढंग से आपने लिखा….वो पहली बार पढ़ने पे लगता कुछ और है….बाद में पढ़ो तो कुछ और….भाव ही ऐसे गहरे पिरोते कि गोलमाल कर देते…….यहाँ गोलमाल नकारात्मक नहीं…कृपया….इसी लिए मैंने भी प्रतिकिर्या गोलमाल कर दी….हा हा हा
khubsoorat rachna………..
धन्यवाद आपका मनी जी ।
काजल जी यदि नदियाँ का किनारा कहेंगी तो उचित होगा क्योंकि दोनों कभी अलग नहीं होते. तब बहुत ही शानदार रचना होगी.
मधुकर जी आपका कथन भी सही है ।पर सायरी या गजल मे क्या शुध्द हिंदी शब्दो का प्रयोग उचित होगा या हल्के फुल्के उर्दू शब्दो का ।मुझे आपसे ज्यादा जानकारी तो नही है बस आपसे पूछना चाह रही हु । रचना पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका ।
काजल जी. ग़ज़ल तो हिंदी में भी लिखी जाती है. दुष्यंत कुमार जी को जिसका जनक माना जाता है. मेरा मानना है शुद्ध हिंदी का तो हम में से अरुण जी, सुरेंद्र जैसे कुछ कम लोग ही करते हैं. बाकी सब की भाषा में तो अन्य भाषाओँ के शब्द भी सम्मिलित रहते हैं. नदियाँ की जगह दरिया भी प्रयोग किया जा सकता है
खूबसूरत रचना काजल जी !!
धन्यवाद आपका मीना जी
कश्ती के लिये किनारा मायने रखता है औऱ दिल के लिये चाहत
बेजोड़ पंक्तियाँ हैं
मेरे लिखने मे शायद कुछ कमी हो इसलिए आपको बेजोड़ लगे आपको । पर प्रतिक्रिया देने का बहुत बहुत धन्यवाद आपका । आप सब बतायेंगे तभी समझ आयगा ।
काजल रचना का सार बहुत खूबसुरत है…..मुझे ऐसा क्यो प्रतीत होता है कि इस रचना के साथ जल्दबाजी हुई हे ….मेरा संशय स्पष्ट करे ।।
निवातिया जी मुझे लग रहा है शायद कुछ कमी रह तो गयी है । प्रतिक्रिया व्यक्त करने का धन्यवाद आपका ।
very beautifully written kajal ji…. specially…. तुम्हारी चाहत को कश्ती का किनारा समझ बैठे….
आपका कोटी कोटी धन्यवाद मैम ।
कुछ तो गोलमाल है……भाव कमाल के हैं………
किसमे गोलमाल सर्मा जी शब्दो मे या मन के भाव मे ।रचना पसंद करने के लिए धन्यवाद आपका ।
शब्दों में…गोलमाल…जिस ढंग से आपने लिखा….वो पहली बार पढ़ने पे लगता कुछ और है….बाद में पढ़ो तो कुछ और….भाव ही ऐसे गहरे पिरोते कि गोलमाल कर देते…….यहाँ गोलमाल नकारात्मक नहीं…कृपया….इसी लिए मैंने भी प्रतिकिर्या गोलमाल कर दी….हा हा हा
बहुत आभार आपका शर्मा जी।
बहुत ही अच्छे भाव् काजल जी
वाह
बहुत बहुत धन्यवाद आपका अरुण जी ।
भाव बहुत ही खुबसूरत है काजल जी
आपको भाव पसंद आये शुक्रिया आपका । पर आपने रचना के बारे मे कुछ नही समझाया सुरेंद्र जी ।
सुंदर रचना…………………..
विजय जी धन्यवाद आपका ।
कजाल जी रचना बहुत ही खुबसूरत और उसके भाव भी सुन्दर है।