अब दोष मुकद्दर को क्यो दे साहिब,
यहां तो बात अपने अपने उसूलो की थी उनको था पसंद वतन से
नाफरामोशी कर परदेश को जाना
एक हम थे,
जो इस मिटटी से जुदा होना कतई गंवारा न था…..।।
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डी. के. निवातियॉ [email protected]@@
अब दोष मुकद्दर को क्यो दे साहिब,
यहां तो बात अपने अपने उसूलो की थी उनको था पसंद वतन से
नाफरामोशी कर परदेश को जाना
एक हम थे,
जो इस मिटटी से जुदा होना कतई गंवारा न था…..।।
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डी. के. निवातियॉ [email protected]@@
वाह्ह्ह्ह बे हद खूब.. निवातियॉ जी
बहुत बहुत धन्यवाद अभिषेक ।।
बेहतरीन………….
बहुत बहुत धन्यवाद बब्बू जी ।।
अपने देश से प्रेम की भावना बहुत बढ़िया ………………………. ज़बरदस्त निवातियाँ जी !!
भावो को सहमती प्रदान करने के अनेको धन्यवाद सर्वजीत जी ।।
बहुत सुंदर……………….
शुक्रिया शिशिर जी !
देश प्रेम की भावना बहुत सुंदर निवातिया जी ।
बहुत बहुत धन्यवाद काजल
bahut hi umda sir ……………..
बहुत बहुत धन्यवाद मनी……..!
देश से प्रेम की भावना को दर्शाती सुंदर रचना……..बहुत बढ़िया………………….
बहुत बहुत धन्यवाद विजय !!
बहुत खूब आदरणीय डाक्टर साहब !!
शानदार रचना हुई !!
तहदिल से शुक्रिया आनद सागर !!