अरकान-212 212 212 212
दिल तेरे बिन कहीं अब बहलता नही।
दर्द सीने में है दम निकलता नही।।
दर्द दिल का बढ़ा जा रहा है बहुत।
दर्दे दिल पे कोई जोर चलता नही।।
सिसकियों से मेरी दिल पिघलते गए।
दिल तेरा ये भला क्यूँ पिघलता नही।।
टालता हूँ बहुत ख़्वाब तेरे सनम।
टालने से मगर अब ये टलता नही।।
काश! मिल जाए तेरा सहारा मुझे।
बिन सहारे ये दिल अब सँभलता नही।।
रचना-रामबली गुप्ता
रामबली सी मात्रात्मक गजल की एक शानदार प्रस्तुति
सलाम करता हूँ आपको! बेहतरीन गजल के लिए!
हृदय से आभार आद० सुरेन्द्र नाथ जी
बेहतरीन…….लाजवाब…….हर शेर…..
बहुत बहुत आभार आदरणीय
शानदार मनोभाव …………………
हार्दिक आभार शिशिर भाई जी
bahut badiya rambali ji
सादर धन्यवाद मणी जी
भाव अच्छे हैं……………………………..एक बहुत पुराने गाने की पंक्तियाँ याद आ गयीं……..
दिल तेरे बिन कहीं लगता नहीं,
वक़्त गुजरता नहीं.
धन्यवाद विजय कुमार जी
सारगर्भित लयबद्ध तरीके से संजोये शब्दो की माला से सुसाज्जित सुन्दर प्रस्तुति ……….बहुत खूबसूरत रामबली जी !!!!
अतिशय आभार आद० निवातियाँ जी
सुंदर भाव भरी और लय युक्त रचना गुप्ता जी ।
हार्दिक आभार काजल जी