अंधेरों की नहीं
टिमटिमाते चिरागों की होती है रात
नींद की नहीं
सपनो की होती है रात
अलसाई बाते,
इठलाते जज्बातों
की होती है रात |
कल रात को देखा ?
देखते कैसे सो जो रहे थे,
तुम्हे कैसे पता चलेगा
की कल चांदनी की हुई थी रात |
करवटों की नहीं,
बिस्तर, तकिये, कम्बल, रजाई,
ऊंघने, खर्राटे, बुदबुदाने की
बिलकुल नहीं,
संगीत, कविता, प्रेम, अनकही बाते
विचार, आधार और कल्पनाओ
की होती है रात |
कभी रात को सुना है ?
सुनते कैसे, सो जो रहे थे
कल सितारों की कहानियो की हुई थी रात |
भुत, पिशाच, सापों, चम्कदारो
गुंडों, लूटेरो, कातिलों की
बिलकुल नहीं,
चातको, जुगनुओ, प्रेमियों, कवियों
जवानों, चौकीदारों, कुछ घावो को संजोती और आंसुओं पे पहरा देती ,
अच्छी यादों की होती है रात |
कभी रात से बात की है?
बात कैसे करते सो जो रहे थे |
कल कुछ किस्सों की हुई थी रात |
हा हा हा……सच में तो सो गया था….पर आप ने छोड़ा नहीं किसी को…..वाह….?
गलती हो गई….मैं औ गया था….आप नहीं….
बहुत बहुत खूबसुरत ।।
Nice………..behtrin!
आपने कर दी न मीठी बात
कट गयी मस्ती में रात
लाजवाब
behad khubsoorat………..