बकरा कसाई से बोला
मुझे मत मारो
मैं भी कसाई था
पूर्व जन्म की सारी बात मुझे याद है
अब बकरा हूॅ
सोचो
तुम्हारे पास कटने के लिए आ गया
क्या तुम मुझे बख्सोगे
बकरे की आखॅ भर आई
कसाई कुछ सोचा
और ठहाके मारकर हंस पड़ा
बोला मुझे बुद्धु समझते हो
कटने के पहले
हर बकरा यही कहता है
मुझे छोड़ दो
छोड़ दु
धंधा चैपट हो जायेगा
मेरे बच्चे.बीबी और मैं
भूखे मर जाउॅगा
बकरे की सिट्टी.पिट्टी गोल हो गई
वह ड़र गया
फिर संहला
संहल कर बोला
भाई साहब
मैं झूठ नहीं कहता
हर बकरा कसाई का दुसरा रूप है
एक दोस्त का प्राण जाता है
अपने विरादर का अपमान होता हैं
फिर यह अभिमान कैसा
क्या तेरे लिए शेष रह गया
आज के जमाने में पैसा
बकरा नहीं कसाई ही कटता है
यह पाप है
इसे मजबूरी मत समझना
मुझे छोड़ दो
तेरे कर्मो का हिसाब
कोई दूसरा नहीं लेगा
यही सत्य और यही सार्थक है
बी पी शर्मा बिन्दु
Writer Bindeshwar Prasad Sharma (Bindu)
D/O Birth 10.10.1963
Shivpuri jamuni chack Barh RS Patna (Bihar)
Pin Code 803214
द्वन्द को दर्शाने का अच्छा प्रयास
Santawna ke liye bahut bahut thank you.
अच्छा प्रयास। बधाई स्वीकार करें
Ram bali jee – sntawna ke liye bahut sukriya.
Thank you sir gupta jee – aapki pratikriya se bahut khushi mil rahi hai sir.
Sahi kaha aapne……
C M Sharma sahab – Aap ki santawna ke liye thank you.
मजा आ गया पढ़ कर, सही कहते है आप!
Thank you for your coopartaion