ना हिंदू से जियो
ना मुसलमान से जियो
गर जियो तो अपने
सम्मान से जियो.
तेरे लहू में कोई भेद नहीं भाई
बस विचारों में होती लड़ाई
हो सके तो नियत
औऱ ईमान से जियो
ना हिंदू से जियो ना …..
रंग में जो कुरंग भर देता
हर खुशी को बेढंग कर देता
कर सको नेक कर्म तो
अहसान से जियो
ना हिंदू से जियो ना …..
बेरुखी से दूषित होता दामन
बन्दगी से मिट जाता हर ग़म
मिले सबको अमन
एहतराम से जियो
ना हिंदू से जियो ना ….
नाज़ आओ करें हिन्द पर हम
रख भरोसा नित आगे बढे हम
लाख मुश्किल भी हो
फ़िर भी शान से जियो
ना हिंदू से जियो
ना मुसलमान से जियो
गर जियो तो अपने
सम्मान से जियो !!
!!
!!
डॉ.सी.एल.सिंह
!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
राष्ट्रीय एकता की भाव जगाती उम्दा रचना!
बेहद उम्दा………….
bahut khubsoorat rachna…..meri dil ko bahut acchi lagi…….
समानता को प्रेरित करती खूबसूरत प्रेरक रचना ….अति सुन्दर !!
बहुत खूबसूरत रचना डॉ. सिंह
आपलोंगो की खूबसूरती में मेरा भी मन बसा है
तन बसा है
दिल से धन्यवाद
बहुत खूब …………………………… लाल जी !!
एक खूबसूरत प्रेरक रचना सर ।