अपनी सहज दंतुरित मुस्कान से,
पत्थर दिल वालों को पिघला दे,
नन्हीं किल्कारी एवं करतबों से,
रोते हुए को भी हँसा दे,
बच्चों में है इतना दम।
लहरों से भी लड़ जाए, या फिर
मोड़ डाले नदी की राहें,
पहाड़ को तोड़ रास्ता बना लें,
तूफानों में भी बहार ला दें,
युवाओं में है इतना दम।
स्वयं कष्ट सह सबको शांति प्रदान करें,
दुविधा से पंथ दिखाए,
गदिॆश से आसमां तक पहुँचाए,
बड़े-बुजु़गॆों के आशीवाॆद और
दुआओं में है इतना दम।
बच्चे, युवकों और बुजुर्गों की समाज में किस ढंग से उपयोगिता बनती है , उसको शब्द में बयां किया है, जो बेहतरीन है!
धन्यवाद।
बहुत ही खूबसूरत……
धन्यवाद।
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धन्यवाद।
बहुत ही खूबसूरत……….एक बार “जिंदगी तुम बेवफा हो” भी पढ़ें.
धन्यवाद।
जीवन के प्रत्येक पड़ाव की महत्ता का सकारात्मक भाव प्रस्तुत करती खूबसूरत रचना !!
धन्यवाद।
अति सुन्दर भाव …………………
धन्यवाद।
बुजुर्गों युवाओं keके दम को बढ़ाती आकर्षक रचना
धन्यवाद।