आग…..
हमने कई रूपो मे देखा इसको ,
कभी हसांती ये कभी रूलाती है,
यदि हृदय मे लग जाये किसी के
जीते जी तन – बदन जलाती है।
घर – घर का दीपक बनकर
रोशन करती है कोना-कोना
अगर बने नफरत की चिंगारी
महलो को खाक मे मिलाती है।।
प्रणय वेदी पर होती प्रज्वलित
पवित्र हवन कुडं मे सजती है,
शमशान मे बनकर दाग देह का
नश्नर शरीर भस्म कर जाती है ।।
इतनी सयानी, इतनी चपल ये
चिगांरी से शोला बन जाती है
हर एक शै: को राख बनाकर
दुनिया भर मे धाक जमाती है ।।
उष्मीयता का अपना ही गुण
जीवन कारक मानी जाती है
हर आँगन के चूल्हे जलकर
मानस पेट की आग बुझाती है ।।
विभत्स रूप ऐसा भी देखा
जब दिल ये दहला जाती है
बहू रूप मेे किसी के आँगंन
जब एक बेटी जलाई जाती है ।।
जन्मकाल हो या हो मृत्यू काल
घर मे पूजा हो या कोई अनुष्ठान
हर खुशी हर गम की साक्षी बन
अग्नि नाम से पहचानी जाती है ।।
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डी. के. निवातियॉ [email protected],
वाह क्या बात है ……………………… लाजवाब ……………………. अग्नि को क्या परिभाषित किया है आपने निवातियाँ जी !!
सराहनीय प्रतिवचन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद सर्वजीत जी !!
आग को इतने खूबसूरती से आपने परिभाषित किया है की मै निशब्द हूँ। आग की हर स्वरुप का दर्शन इस रचना के माध्यम से हो जाता है!
सराहनीय प्रतिवचन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद सुरेंद्र !!
बहुत ही उम्दा निवातियां जी
वाह!
बहुत बहुत धन्यवाद अरुण आपका !!
आपकी कविता कला जबरदस्त है मैं शलाम करता हूँ
तहदिल से शुक्रिया आपका !!
शानदार रचना ………………
धन्यवाद शिशिर जी !
ज़िन्दगी के अनुभव की तपस्या की आग….शब्दों में निकलती है तो मन में यह आग की चिंगारियां एक संतोष की फुहार की अनूभूति कराती है…जब भी ऐसी रचना पढ़ने को मिलती है ऐसे लगता है मानो यह हमने ही लिखी है हमारे लिए ही है…आग एक ऐसा सत्य है जिसके बिना जीवन है ही नहीं…और सत्य तो सब के लिए एक जैसे ही है……नमन आपको…रचना को….ऐसी अनूभूति कराने के लिए….
ह्रदय में ऊर्जा का संचार कर देने वाली दमदार प्रतिक्रिया के लिए कोटिकोटि धन्यवाद बब्बू जी !!
वाह कमाल की रचना………निवातियाँ जी
बहुत बहुत धन्यवाद मनी !
अतीव सुन्दर निवातियाँ जी …बधाई आपको
बहुत बहुत धन्यवाद अभिषेक !
बड़ी खूबसूरती से आग को परिभाषित किया आपने निवातिया जी सचमुच बहुत बढ़िया ।
बहुत बहुत धन्यवाद काजल !
अति सुंदर रचना…………………..आग को बखूबी परिभाषित किया है आपने.
बहुत बहुत धन्यवाद विजय !
बेहतरीन रचना निवातियाँ जी !!
बहुत बहुत धन्यवाद मीना आपका !