मतलबी दिखता है जग सारा,
फिर भी किसी को अगर मुहब्बत में वफ़ा मिल जाए !
मंजर बस यूँ समझ लीजिये,
सूरज पश्चिम से निकला, कमल खार में खिल जाए !!
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डी. के. निवातियाँ [email protected]
मतलबी दिखता है जग सारा,
फिर भी किसी को अगर मुहब्बत में वफ़ा मिल जाए !
मंजर बस यूँ समझ लीजिये,
सूरज पश्चिम से निकला, कमल खार में खिल जाए !!
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डी. के. निवातियाँ [email protected]
वाह भाई वाह………..बहुत खूब!
मोहब्बत में सबको वफ़ा नहीं मिलती!
मनोहारी प्रतिक्रिया के लिये तहदिल से शुक्रिया सुरेन्द्र ।।
बेहतरीन ……………………
बहुत बहुत धन्यवाद शिशिर जी
हमें तो सच में आज सूरज पश्चिम से निकलता दिखाई देता है…..इतनी शिद्दत भरी रचना से……शब्दों से विहीन हूँ मैं….बेहतरीन…..लाजवाब…..बेमिसाल……अप्रतीम……
आपका आनद ह्रदय को प्रफुल्लित कर देता है बब्बू जी ………..आपकी स्तवन प्रतिप्रभाव के लिए उठारगम से कृतज्ञता प्रस्तुत करते करते !!
हा हा हा ……मुझे इतने गूढ़ शब्द समझ नहीं आते…कृपया बुरा मत मानियेगा….मेरी किसी भी भाषा पे पकड़ नहीं है….साहित्यक ज्ञान बिलकुल नहीं….हाँ जो दिल में आता सीधा सादा लिखता हूँ…और प्रतिकिर्या देता हूँ जो दिल में आता…मजाक नहीं मैं सच कह रहा हूँ..आप जैसे गुणीजन के सानिध्य से कुछ धीरे धीरे सीखने की कोशिश कर रहा हूँ….पर वक़्त लगेगा…आभार आपका….
मेरा भी यही कहना है आपसे !
बुरा ना मानियेगा किसी बात से !!
आप जो भी लिखते है ह्रदय को भाता है !
आपकी प्रतिकिया पाकर आनद आता है !!
wah nivatiya ji bahut hi behtarin………………
बहुत बहुत धन्यवाद मनी……………!!
आज के दौर में बिलकुल सत्य………..बेहतरीन……………………
बहुत बहुत धन्यवाद विजय …………..!!
बहुत खूब क्या तीर मारा है लाजवाब रचना सर l
तहदिल से शुक्रिया आपका राजीव !!
वाह क्या बात है निवातिया जी ।
बहुत बहुत धन्यवाद काजल !!
बहुत उम्दा……. बेहतरीन रचना….,
बहुत बहुत धन्यवाद ‘ आपका !!
आप एक मिशाल खड़ा कर देते हैं
छंद पन्क्तियो में भाव बड़ा कर देते हैं
आपका सराहना करने का अंदाज निराला है ………….बहुत बहुत धन्यवाद सी. एल. साहब !!
वफ़ा तो मिलती है पर बड़ी मुश्किल से —— बहुत ही बढ़िया ………………………. लाजवाब निवतियां जी !!
बहुत बहुत धन्यवाद आपका सर्वजीत !!