तू मेरा खुदा है तुम्हें छोड़ कहाँ जाऊँ
हँस के चाहत के हर ग़म सहा जाऊँ
चल आज भीगे सावन की बारिश में
खुद को भूला के तुझमें समा जाऊँ
तू मेरी तू मेरी दिल की है धड़कन
तेरी ही चाहत की धुन में रमा जाऊँ
गुजरे जब भी तू सनम मेरी गली से
तेरी हुस्न दीदार के लिये मरा जाऊँ
तू हमसफ़र है तू ही ज़िंदगी है
तू एक नदी है तेरे साथ बहा जाऊँ
दिल में छुपा लूँ निगाहों में बसा लूँ
बनके तेरा चाँद इश्क में ढला जाऊँ
कवि :-दुष्यंत कुमार पटेल”चित्रांश”
बहूत खूब वाहहहहहह
बहुत सुंदर…………………..
बहुत खूबसूरत …………..!!
ati sunder………..
बहुत खूबसूरत……..
आप सभी कवि मित्रों का दिल से आभार धन्यवाद
दुष्यंत जी बेहतरीन गजल! मुबारक……!
सुरेन्द्र जी दिल से आभार