बहुत सी बाते अधूरी है, वक्त रहते दिल की कह ले ।
के एक मुलाकात जरूरी है, तेरे दूर जाने से पहले ।।
नाम सुना था, लत क्या होती ये जाना तुझसे मिलने के बाद ।
वैसे जिया तो पहले भी करते थे, ज़िदंगी मे तेेरे आने से पहले ।।
शायद मिलन आखिरी हो, ये अपनी इस ज़िदंगी का ।
जी भर के गले लगा ले एक बार हाथ छुडाने से पहले ।।
माना के साथ चन्द कदमो का ही था हमारा तुम्हारा ।
हमे खुशी-२ विदा कर, नई मंज़िल पे जाने से पहले ।।
डगर बडी कठिन है जीवन की, अकेले यूँ कट न पायेगी ।
लायक हमसफर तलाश लेना, हमसे रूख्सती पाने से पहले ।।
आदत को अपनी बदल “धर्म” है जीने के और भी बहाने ।
भुला देना पुरानी यादे, गज़ल उसके नाम कि गाने से पहले ।।
@__डी. के. निवातियॉ[email protected]
बहुत सुंदर रचना निवातियाँ जी ।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका ।।
निवातियाँ जी खूबसूरत भाव लेकिन मुझे दूसरे शेर में सुधार की गुंजाइश लगती है
बहुत बहुत धन्यवाद शिशिर जी …..एक बाार पुन: भावो के मूल पर नजर करे शायद आप मरे मतव्य को समझ सके ।।
Nivatiya ji I am okay with the meaning. Please consider the following change which has better flow. I in fact suggested better flow because sometimes all of us fail.
नाम सुना था, लत क्या होती ये जाना तुझसे मिलने के बाद ।
वैसे जिन्दा हुआ करते थे हम ज़िदंगी मे तेरे आने से पहले ।।
नाम सुना था, लत क्या होती ये जाना तुझसे मिलने के बाद ।
वैसे जिन्दा तो हम भी थे, ज़िदंगी मे तेre आने से पहले ।।
Above change will also do wonders. Jab was spooling flow
तहदिल से शुक्रिया शिशिर जी ……आपका कथन उचित है ……..बस बात इतनी सी है की अपनी अपनी बात कहने का अंदाज भिन्न हो सकता है…!!
आपके इस सद्भाव प्रेम का पुनः धन्यवाद !!
आप सभी कवी-जनो का संग मेरे लिए अमूल्य है ………………किसी शब्द के हेर फेर से कोई फर्क नही पड़ता,…………आवश्यक परिवर्तन के साथ रचना आपकी प्यार भरी नजर की प्रतीक्षा में है !…….. रचना लिखने का आनदं पाने के लिए पाठक के ह्रदय पटल पर खरा उतरना आवश्यक है !!……..बस आप इसी तरह अपनी प्यार भरी नजर इनायत रखिये !! पुनः धन्यवाद आपका !!
जादूगर जादू कर जायेगा……..हर शेर लाजवाब…..सच में मजा आ गया इस मोहब्बत भरी कैफियत का……लाजवाब….??
बहुत बहुत धन्यवाद बब्बू जी…. …..वैसे जादूगर आप भी कुछ कम नही ….हाहाहाहाह….. पुन: धन्यवाद आपका ।।
जबरदस्त …………………………………….. लाजवाब निवातियाँ जी !!
तहदिल से शुक्रिया आपका सर्वजीत जी !!
सभी शेर एक से बढकर एक, विशेषकर अंतिम शेर…….
आदत को अपनी बदल “धर्म” है जीने के और भी बहाने ।
भुला देना पुरानी यादे, गज़ल उसके नाम कि गाने से पहले ।।
बधाई सर जी!
इस अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद सुरेंद्र !!
bahut hi behtarin sir……………………….
बहुत बहुत धन्यवाद मनी……….!!
बहुत ही खूबसूरत रचना निवातिया जी ।
तहदिल से शुक्रिया काजल ……….!!
इसमे कोई शक नहीं की हरेक पंक्तियाँ बहुत ही खूबसूरत भावों में सजाई गयी हैं. अत्यंत ही सूंदर ग़ज़ल है. एक छोटा सा अनुरोध है अगर दूसरे शेर में “जब” के स्थान पर “तब” का प्रयोग कर दें तो भाव ज्यादा सूंदर हो जाएंगे.
मेरे विचार हैं आवश्यक नहीं की आपके दृष्टिकोण के हिसाब से उचित ही हों.
आप सभी कवी-जनो का संग मेरे लिए अमूल्य है ………………किसी शब्द के हेर फेर से कोई फर्क नही पड़ता,…………आवश्यक परिवर्तन के साथ रचना आपकी प्यार भरी नजर की प्रतीक्षा में है !…….. रचना लिखने का आनदं पाने के लिए पाठक के ह्रदय पटल पर खरा उतरना आवश्यक है !!……..बस आप इसी तरह अपनी प्यार भरी नजर इनायत रखिये !! पुनः धन्यवाद आपका !!
निवितिया साहब आपकी रचना कमाल की है सच में प्यार में जिंदगी जीने का रुख ही बदल जाता है l
अमूल्य वचनों के ह्रदय से आभार …….राजीव आपका !
बेहद खूबसूरत गज़ल !!!!
तहदिल से शुक्रिया मीना आपका !!
आपने मेरे भावों को महत्व दिया इसके लिए आपका ह्रदय से आभार. एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए भी आपको बधाई…………………..