Homeअज्ञात कविमदिरा सवैया मदिरा सवैया रामबली गुप्ता अज्ञात कवि 24/07/2016 14 Comments चैन लुटा जब नैन मिले तन औ मन की सुध भी न रही। कोमल भाव जगे उर में शुचि-शीतल-स्नेह-बयार बही।। मौन रहे मुख नैनन ने प्रिय से मन की हर बात कही। चंद्र निहारत रैन कटें मन की अब पीर न जाय सही।। रचना-रामबली गुप्ता Tweet Pin It Related Posts देश के प्रति साइकिल राखी आई- Bhawana Kumari About The Author रामबली गुप्ता 14 Comments mani 24/07/2016 khubsoorat…..rambali ji… Reply रामबली गुप्ता 24/07/2016 हृदय से आभार आद0 मणी भाई जी Reply Shishir "Madhukar" 24/07/2016 बेहद सुन्दर ………… Reply रामबली गुप्ता 24/07/2016 हृदय से आभार आदरणीय शिशिर भाई जी Reply Kajalsoni 24/07/2016 बहुत खूब लिखा आपने । Reply रामबली गुप्ता 24/07/2016 बहुत बहुत धन्यवाद आपको Reply Rinki Raut 24/07/2016 बहुत सुन्दर रचना है Reply रामबली गुप्ता 24/07/2016 रचना पर प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार आद० रिंकी जी Reply C.m.sharma(babbu) 24/07/2016 Waah kya baat hai…..bahut sundar…. Reply रामबली गुप्ता 24/07/2016 रचना आपको पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हो गया। हृदयतल से आभार आपको Reply सुरेन्द्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप 24/07/2016 बेहतरीन और उम्दा रचना…….. Reply रामबली गुप्ता 24/07/2016 सराहना के लिए हृदय से आभार आद० सुरेन्द्र नाथ जी Reply अरुण कुमार तिवारी 24/07/2016 बहुत अच्छी कृति रामबली जी को बधाइयाँ! Reply रामबली गुप्ता 24/07/2016 आद० अरुण कुमार जी सादर आभार Reply Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.
khubsoorat…..rambali ji…
हृदय से आभार आद0 मणी भाई जी
बेहद सुन्दर …………
हृदय से आभार आदरणीय शिशिर भाई जी
बहुत खूब लिखा आपने ।
बहुत बहुत धन्यवाद आपको
बहुत सुन्दर रचना है
रचना पर प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार आद० रिंकी जी
Waah kya baat hai…..bahut sundar….
रचना आपको पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हो गया। हृदयतल से आभार आपको
बेहतरीन और उम्दा रचना……..
सराहना के लिए हृदय से आभार आद० सुरेन्द्र नाथ जी
बहुत अच्छी कृति
रामबली जी को बधाइयाँ!
आद० अरुण कुमार जी सादर आभार