ऐ हुस्न अपनी ताकत का तुझे अंदाजा ही नहीँ
तेरी नज़रों के घायल तो मिल जाते हैं हर कहीँ
जो तू अपने करम दिल से किसी पर भी वार दे
हर ओर से बिखरे इंसान की भी हस्ती संवार दे.
ऐ इश्क तेरा जादू भी तो जहाँ में कुछ कम नहीं
जो तू ना साथ दे तो कभी ना खिलें चमन कहीँ
तेरे आगोश में जब भी मुझे सर रखने को मिला
मेरे सीने में पडी ठंडक ओर हर अंग अंग खिला
शिशिर मधुकर
हुस्न और ईश्क कमतर कोई नही ……..हो भी कैसे दोनो जो एक दूसरे के पूरक है ।।
अति सुंदर शिशिर जी ।
हार्दिक आभार निवातियाँ जी
आप इस विधा के माहिर हैं। और हम कायल
शायद हर बार ही
और इस बार ही घायल
काव्यात्मक तारीफ़ का शुक्रिया ……………
इश्क परवान चढ़ जाये तो सीने में ठंड पड़ ही जाती है , बहुत खूब शिशिर जी ।
तारीफ़ का बहुत बहुत शुक्रिया राज जी ………………
bahut khubsurat sir……..husan aur ishk ek durese ke bina adhure…………………
धन्यवाद मनिंदर …………………
हुश्न का जादू और इश्क का खुमार दोनों प्रेम के आधार
कोई घायल करता कोई परवान चढ़ता, देता जीवन सार
हुश्न गिराती दिल पर बिजली, इश्क खिलाता चमन में फूल
किसी की सुधर गयी हस्ती किसी के सीने में उठा शूल
शिशिर मधुकर जी….अत्यंत ही खुबसूरत रचना
आपकी रचना पढकर मैंने भी कुछ चाहा कहना
सुरेंद्र इतनी खूबसूरत काव्यात्मक प्रतिक्रिया के लिए दिल से आभार
हुस्न की तारीफ वो भी आपके शब्द मे बहुत ही अलग और सुंदर ।
Thank you Kajal ji for your affectionate reply
Poora rang bikhera diya aapne husno-ishq ka…..laajwaab…andaaz…
So nice of you Babbu ji for your lovely comment
सदैव की भांति एक और खूबसूरत रचना !
So nice of you for your continuous appreciation.
हुस्न का जादू है जो सर चढ़ के बोलता है ……………………………………… जबरदस्त मधुकर जी !!
Thank you very very much Sarvjeet
शब्द ही नहीं कुछ कहने को ज़बर्जस्त है
Thanks a ton Dr. Singh