मुद्दत हुई, मेरे अपनों को, शिकायत नहीं कोई मेरी..!
सुधर गए क्या निंदक सारे ? या मुझ में आई ऐब नयी..!
मुद्दत = बहुत अधिक समय;
निंदक = निन्दा करने वाले;
ऐब = दुर्गुण;
मुद्दत हुई, मेरे अपनों को, शिकायत नहीं कोई मेरी..!
सुधर गए क्या निंदक सारे ? या मुझ में आई ऐब नयी..!
मुद्दत = बहुत अधिक समय;
निंदक = निन्दा करने वाले;
ऐब = दुर्गुण;
हा हा हा…….बहुत खूब जनाब …..?
बहुत-बहुत धन्यवाद श्री शर्मा साहब….
bahut badiya sir…………………
बहुत-बहुत धन्यवाद श्री मनी साहब…
Badhiya shayri………
बहुत-बहुत धन्यवाद श्री सुरेन्द्र नाथ सिंह साहब…
कमाल लिखा आपने ।
बहुत-बहुत धन्यवाद श्री निवातियाँ साहब…
बहुत बढ़िया ……………..
बहुत-बहुत धन्यवाद श्री शिशिर जी साहब…
अच्छी शायरी **************
बहुत-बहुत धन्यवाद सुश्री काजल जी…
बहुत सुन्दर…………….
बहुत-बहुत धन्यवाद सुश्री रिन्की जी…
आप तो हँस कर दिल जीत लेते हैं
और क्या कहूँ कितने मरते हैं कितने जीते हैं
बहुत-बहुत धन्यवाद श्री डॉक्टर साहब…