आज आँखें नम हैं
शायद कुछ गम कम है!
शायद…
सूखे होंठ और ये सिकन,
मद्धम मद्धम बढ़ती चिंता की लकीरें!
हम चले किधर? किधर से किधर?
किससे पूछूँ? किस किस से!
ये कौन चित्रकार है?
जो रो रहा है!
अपने मोती इन कागज के पन्नो पे खो रहा है
माँ मेरा देश सो रहा है……
माँ तेरा देश सो रहा है…..
मत चिल्लाओ
मत जगाओ
मुझे सोने दो!
मुझे सोने दो!
तुम अतीत हो!
अफ़सोस गीला हो उठा,
अब बस तम ही तम है,
आज आँखें नम है,
शायद कुछ गम कम है|
शायद…..
और जाग उठे आज वे ही,
ख्यालों के कपाट से झांकते|
लाचार आँखों से ताकते।
टुकुर टुकुर..
जो सो गए थे,
खो गए थे|
इस आज़ादी को,
इसी आज़ादी को!
पाने की खातिर,
धत्!!
क्या काट-काट, क्या बो रहा है?
क्या-क्या बो रहा है?
माँ मेरा देश सो रहा है!
माँ तेरा देश सो रहा है!
जज्बात बह चले,
पगडंडियों से होकर|
उसी निशानी की ओर,
शायद अंतिम छोर!
जहां कभी झूल गयी थी जवानी,
फंदे पर इस वतन की खातिर,
आज बस निशानी|
आँखों में जलता पानी,
जो गया जम है,
आज आँखें नम हैं
शायद कुछ गम है
शायद……
-‘अरुण’
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बेहतरीन भाव, दिलकी वेदना, और देशप्रेम!
अरुण जी रचना वर्तमान परिवेश में अर्थपूर्ण है।
मेरी भी कुछ रचनाएँ विगत दिनों की है, कृपया आप नजर करे और अपने बहुमूल्य सुझाव से सिंचित करे, मै आभारी रहूँगा!
धन्यवाद सर
मैं जरूर आप की रचनाओं पर अपने तुच्छ ज्ञान के रोपण का प्रयास करूँगा।
हृदय को झकझोरने वाली भावप्रधान रचना
सर कल एक भी राष्ट्रीय अखबार ने उस सपूत को नहीं याद किया। केवल झूठे और मक्कार लोगो की तारीफ़ ही छपी थी।
बस दर्द ने शब्दों का सहारा ले लिया।
इन भावो को महसूस कर अपनी अनमोल प्रतिक्रिया देने के लिए आपको धन्यवाद!
निवेदन है कि आप मेरी तुच्छता को पुष्ट करें। सारी कमियों को निः संकोच उजागर करें।
बेहतरीन………….
धन्यवाद सर……….
bahut khubsoorat………..
धन्यवाद मनी जी….
एक सच्चे देश भक्त होने के नाते उन वीरो की शहादत के किस्से यादकर हृदय मे वेदना का उद्वेलित होना स्वाभिवक है …..आपकी खुबसुरत कृति इस का प्रमाण है …..बहुत अच्छे अरूण ।।
कोटिशः धन्यवाद सर!…..
बेहद खूबसूरत रचना अरुण. आपने अपनी पीड़ा और देश की वास्तविकता को बड़े ही भावपूर्ण शब्द दिए हैं.
सर प्रणाम!
आपकी इस भावपूर्ण प्रतिक्रिया हेतु सादर धन्यवाद!
Very very nice. ………………
प्रणाम
और आभार
ऐसी वेदना महसूस करने के लिए।
हम अपनी आज़ादी के उन दीवानों और उनकी कुर्बानी भूलते जा रहे हैं।
महान देशभक्त को भावुक श्रद्वांजली !
जी मीना जी
भाव ग्रहण करने के लिए धन्यवाद