हिमगिरि कहीं वृहद मरुस्थल
कही स्याह रात कही दिवा धुप
अतिशय शांति कही शेर गर्जना
मनोहारिणी कही विभस्त रूप
कहीं हरसिंगार फैलाती सुगंध
कही कीट विहग की चहचहाहट
कहीं शैल शिखा से गिरती धारा
कही पवन की नीरव सनसनाहट
कही घन में ओझल होता रवि
कही रवि से ओझल होता घन
गूढ़ रहस्य समेटे धुप छाव का
खिले प्रफुल्लित प्रकृति हरक्षन
झरने का कलरव कही बियावान
ऊँचे दरख्तों से छन आती धूप
बैठ तरु तल बस लिखता जाऊ
प्रकृति का अवर्णित अद्भुत रूप
प्रकृति के आँचल में चिर सुख
प्रकृति तांडव से मिलता दुःख
प्रकृति हँसाती रुलाती, खोलती
नव सृजनता का विशाल मुख
जल थल नभ रवि शशि तारक
शैल सरिता कानन हिम झरना
विभिन्न रूप व आधार आकृति
अनन्य अनंत प्रकृति का गहना
प्रकृति एक रमणीक दुल्हन सी
जग कर रहा इसका चीरहरण
इसकी रूप आबरू बचाने को
आज न दिखता कोई अवतरण
सम्प्रति चक्षु समक्ष जो प्रकृति
क्या भविष्य में भी रह पायेगी
आज जो लिख रही मेरी कलम
क्या कल भी कलम दुहराएगी!!
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सुरेन्द्र नाथ सिंह “कुशक्षत्रप”
बहुत ही मनोहारी…..प्रकिर्ति की सुन्दर छटा बिखेरता अत्यंत ही खूबसूरत दृश्य…..आप सही कहते हैं कि क्या ये रह पायेगा जैसे हम आज लालच वश इसका विनाश कर रहे है…..दुआ है आपकी कलम कक बक्शीश हो और आप इससे भी और सुन्दर प्रकिर्ति होती को कलम्बद् करें…..
सी एम् शर्मा जी आपकी प्रतिक्रिया मेरी लिखने की भूख बढाती है। धन्यवाद आपको!
Badiya……………………
सविता जी धन्यवाद आपको!
शब्दो का बहुत ही अच्छा तालमेल । बहुत अच्छी रचना सुरेंद्र जी ।
काजल जी आभार आपका!
बहुत सुन्दर रचना सुरेंद्र. सभी अकादमिक स्तर की है
आप सर अपना आशीर्वाद बनाये रखें! आपकी निरंतर प्रतिक्रियाओ ने ही कुछ इस कदर हमे लिखने को प्रेरित किया!
अत्यंत खुबसुरत मनोहारी रचना सुरेन्द्र…..विलुप्त होती प्राकृतिक सम्पदा कि चिन्ता प्रकट कर प्रकृति संरक्षण के प्रति सचेत करती संदेश परक रचना ।।
निवातियाँ जी, आपके समक्ष अत्यंत ही लघु हूँ। आप स्नेह और आशीर्वाद यूँही बनाये रखिये!
प्रकृति के संरक्षण के लिए लिखे गए भाव ……………………………… ज़बरदस्त रचना सुरेन्द्र जी !!
सर्वजीत सिंह जी धन्यवाद आपको, आपके आशीर्वाद के लिए!
वाह सुरेन्द्र जी कमाल……..आपके के अंदर लफ़्ज़ों का ढेर है धीरे धीरे निकाल रहे है आप…..बहुत बढ़िया सर……………लिखते रहिये सर…….मेरा ज्ञान बढ़ाते रहिये
Mani ji, कोई पूर्ण नहीं होता, मै भी सिख रहा हूँ। फिर भी यथा ज्ञान लिखता हूँ। आपको पसंद आती है। तो उत्साह बढ़ता है।
आपको नमन संग आभार!
प्रकृति का बहुत ही सजीव चित्रण किया सुरेन्द्र जी ।
राजकुमार गुप्ता जी आशीर्वाद हेतु धन्यवाद!
प्रकृति का बेहद सुन्दर और सजीव चित्रण सुरेन्द्र जी !
मीना भरद्वाज जी आदरणीय…….!
बहुत खूब !”
मन आनन्दित हो गया l
जादू है आपकी कलम में I
वाह !!
सागर जी धन्यवाद!
Bahut hi shudd Hindi mei Hai ye aasan Hindi mei Kavita likhi hoti to ham chote baccho ko samaj aati