कैसे. कान्हा. तुझे प्यार. करूँ
है माला शब्दों की
जिससे मैं. श्रृंगगर करूँ
देखूं तुझको तो
तेरे नयनों में मैं खो जाऊं
देख प्यारा मुखड़ा तेरा
शब्दों में उलझ मैं रह जाऊं
शयाम वर्ण लागे अति न्यारा
उसपर. कारी कजरारी. आँखें
भोला मुखड़ा देख 2 मैं मुस्काउं
रंग पीताम्बर सोहे मुझको
मुरली की धुन मोहे मुझको
सुन के मगन मैं हो जाऊं
रास रचाए तू सपनों में ऐसे
बंद पलकों में तेरे दर्शन पाऊं
दुनिआ के सुख ये सारे
चरणों में तेरे सब पा जाऊं
मेले दुनिआ के बड़े निराले
हैं फंसने के भी लाख बहाने
पर क्षणिक. हैं सुख ये सारे
भूलूँ सब तेरा साथ जो पाऊं
बाजे पायल रुन झुन २
उतरे मन में उसकी. गुंजन
करें विभोर तेरी सारी बातें
हो रात सुहानी ,मीठी बरसातें
न जाने क्यों लागे तू अपना
है हकीकत नहीं कोई सपना
रस जीवन का बिखिर गया है
तेरे चरणों में ही सिमट गया है
भेद क्या है झूट और सच में
समझ २. मैं समझ न पाऊं
पर मैं जानूं जो मैं चाहूँ
तेरे चरणों में मैं पा जाऊं
मोबाइल पे रचनाकार का नाम नहीं आ रहा….बहुत भावों से भरी रचना है….अत्यंत सुन्दर….यह पंक्ति “रंग पिताम्बर सोहे मुझको” दोबारा पढ़िए…क्या आप यही लिखना चाहते थे…..
बब्बू जी बहुत २ धन्यवाद ,आपने ने एक लाइन के बारे में पूछा है ( रंग पीताम्बर सोहे मुझको ) यह ही है
कृष्ण भक्ति कि उत्कृष्ट शब्द माला ……जपकर हृदय कृष्णमय हो गया……बेहतरीन किरण जी।।
निवातियाँ जी आपको कविता पसनंद आयी जानकर अच्छा लगा , Bahut २ धन्यवाद
कृष्णा की भक्ति में शब्दरूपी माला से आपने बाजूत अछे ढंग से श्रींगार किया है। बेहतरीन!
सुरेंदर जी सराहना के लिए बहुत आभार ,कविता आपको पसंद आयी जानकार अच्छा लगा ,बहुत २ धन्यवाद
बहुत ही बढ़िया ………………………………. किरण जी !!
सर्वजीत जी ,कविता. की सराहना के लिए तहे दिल से शुक्रिया
बहुत सुन्दर भक्तिमय रचना….
सोनित जी कविता आपको अच्छी ,जान कर आनंद महसूस हुआ. बहुत २ धन्यवाद
आपकी कृष्ण भक्ति को नमन किरण जी. आपका अनुराग हर शब्द में झलकता है
शिशिर जी आप सब की सराहना से लिखने में बल मिलता है . सराहना के लिए बहुत २ धन्यवाद
bahut badiya…………………kiran ji….
मणि जी कविता आपको अच्छी लगी इसके लिए Bahut २ धन्यवाद
जय श्री कृष्ण……………..भक्ति भाव से ओतप्रोत रचना…………बहुत सुन्दर………
विजय जी सराहना के लिए बहुत २ धन्यवाद