भारत माँ की आंखों से,ख़ू के आंसू टपक रहे है,
फिर से छुरा घोप दिया,अंग अंग सब फड़क रहे है।
हिंदी चीनी भाई भाई का नारा देकर कितनी बार गिराया,
पाखंडी मुस्काता मन में,भारत वासी अब भड़क रहे है।
आतंकी मसूद अजहर को बचाया, वीटो पावर बटन दबाकर,
बेशर्मी की हद तोड़कर उल्टा घूरे,क्या पलकें झपक रहे है।
याद रहे चीनियों,हिंदी है हम,ये दंश झेल चुके है,
कितने आतंकी बचाओगे हर रोज यहाँ शूली पर लटक रहे है।
मेरे सैनिक शेरों के भुजबल से,कितना लोहा लोगें,
गीदड़ो की भाँति रोज मारते हम,चारों-खाने पटक रहे है।
पापियों को हथियार भेजते,उनके कंधों से बंदूक चलाते,
इसीलिए घड़ियाली आंसू बहाकर,आगे-पीछे फटक रहे है।
जानते है हम,नही चाहते तुम,शक्तिशाली बन जाए हिंदी,
पर रखते है अधिकार,काबिलियत,जिम्मेदारी,ना की झपट रहे है।
NSG सदस्यता आज नही तो कल,चौखट की शोभा होगी,
मगर जान गई दुनिया सारी, किसके कितने कपट रहे है।
मग़र बाहर से ज़्यादा,अंदर बैठे कपटी लोगो ने जशन मनाए,
मोदी मोदी गाकर विरोधी,देशहित को ही सटक रहे है।
भारत माँ कहती छोड़ो पापी और चीनी को सबसे पहले,
बाहर फेकों मेरे आँसुओ पर हँसकर,जमीं जो हड़प रहे है।
और अलख जगाओं ज्ञान की,समझदार बनकर ताकि,
दिखाए वो दिन,बहिस्कार करके,जब चीनी बौने तड़प रहे है।
___रवि यादव ‘अमेठीया’___
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बहुत खूब………………………..
बहुत बहुत धन्यवाद विजय कुमार जी।
रविजी…मैं ऐसी बातों से सहमत नहीं हूँ….हर कोई अपने देश के लिए करता है….वो धोखा कर रहा हमारे साथ तो अपने देश का भला कर रहा….बात पते की ये कि हम क्या कर रहे…हम अपने को मजबूर न करें…मजबूत करें…क्यूँ किसी के काँधे पे बन्दूक रख के गोली चलाने की सोचते हैं…खुद ही इतने मजबूत बनें और बनाएं अपने को कि दुश्मन भी सर झुकाये…..बात तब है….रोज़ सुनते हैं पडोसी देश ने इतने आतंकी भेजे…यह किया वो किया…वो जो कर रहा कर रहा…हम क्या कर रहे मुद्दा यह है….बेहतर है हम दूसरों को रोने कि जगह खुद को स्थिर करें….
babucm जी आप शायद कविता को ठीक से समझे नही।
मैंने कहा की चीन पाकिस्तान के कंधों से बन्दूक चलाता है,और पाकिस्तान कटोरा लेकर चीन से भीख मांगता है।
शायद मैं ही ठीक से समझाने में नाकाम रहा।
बाकि आपने बिल्कुल ठीक कहा की हमे मजबूत बनना चाहिए।
रविजी….आप NSG की बात कर रहे हैं और चीन के रोल की बात कर रहे…पकिस्तान के पास वीटो पावर नहीं है…आपकी सारी रचना ऐसी ही है….और मेरा यह मानना है क्यूँ किसी के आगे गिड़गड़ाओ की वो हमारी मदद करे…हम खुद करें जो करना अपने दम पे ताकि दुश्मन खुद ही हमारे आगे झुके…और हर कोई देश अपने स्वार्थ के लिए करता है…चीन का भी अपना स्वार्थ है…जब सब अपने देश के लिए कर रहे तो हम को जो उचित अपने लिए वो करना है ना की अपनी गलतियों को दूसरों पे मढ़ना या उनसे सहायता मांगना और रोना हर दम…..
रवि जी बहार वालो के लूटने से ज्यादा घर वाले जो भारत माँ की इज़्ज़त लूट रहे है वो देख रो रही है भारत माँ………….हर रोज एक पार्टी के लोग रोज दंगे कर रहे मार पिटाई कर रहे रिजल्ट क्या कुछ भी नहीं….सरे आम लड़की जीन्स उतर वा दी……क्या तब भारत माता नहीं रोई…………..पहले अपने लोगो को सुधारो खुद को सुधरे के जरूरत है हम सभी को……………इंडिया में इतनी बड़ी आबादी है इसके बावजूद टैक्स कितने लोग देते है देखा है कभी……………लिखी आपने बढ़िया रचना है………………….
मणि जी,आपसे सहमत हूँ।
मगर एक समय में एक ही समस्या पर लिख सकता हूँ।
सर देखिए, internal and external there are two types of problem.
Security n law n order is matter if states n civic agency.
Central govt directs the foreign policy and external affairs.
आपको समझना पड़ेगा की लोग भी कम कायर नही होते,जब कोई खुले आम शर्मसार होता है तो,हम सब तमासा ही देखते है।
we people elect candidates based on caste and want law and order like American!!!