हर कोई मुझसे चाहे बस इतना
पूरा करू मैं उनका सपना
पर कोई मुझसे ये न पूछे
तू क्या चाहे जीवन में अपना
बयां करते है सब दर्द अब अपना
कहते तू ही है हर्ष अब अपना
पर कोई मुझमे ये न देखे
जख्मो से कितना भरा है सीना अपना
बोझ है कांधे पर उनकी उम्मीदों का
कहते है तू पहचान है मेरी जीतो का
पर कोई मुझसे ये न पूछे
क्या हारा बदले इन जीतो का
कहते है तू आस है मेरी
जीवन की तू सांस है मेरी
पर कोई मुझसे ये न पूछे
जिन्दा है या लाश है तेरी.
By:-VIJAY
कहते है तू आस है मेरी
जीवन की तू सांस है मेरी
पर कोई मुझसे ये न पूछे
जिन्दा है या लाश है तेरी.
wah wah..kya kahne……….
धन्यवाद……………..
बहुत सुंदर लिखा है…………..पर नादान हो तुम
जीवन के संघर्षो से
अनजान हो तुम
dhanywad…………….
bahut badiya vijay ji…….
धन्यवाद……………..
दर्द भरे सुंदर लेख ।
thanks for your precious words.
बहुत खूबसूरत ………………!!
धन्यवाद………………..
रचना अच्छी है…..किन्तु बुजुर्गों के भावों को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता………..उनकी उम्मीद बुरे के लिए नहीं होती.
dhanywad……………i respect everyone’s feeling.
क्या बात है,…बहुत उम्दा…..
धन्यवाद………………..
बहुत बेहतरीन रचना, इसी तरह की मेरी कोई मुझसे भी पूछे का भी अवलोकन जरें और अपनी प्रतिक्रिया दें!
धन्यवाद………………..