कुरूप बुढ़ापा
कमर झुकी तन शिथिल हुआ
बुढापे ने क्या हाल किया।
चेहरे पर झुर्रियां व्यापी,
रूप कुरूप बना दिया।
हड्डियों के ढ़ांचे में जैसे
धड़कन साफ दिखाई देती
नीली-नीली नसें उठी हैं
जो खाल के अन्दर होती
मन का साथ छोड़कर
तन ये साला ढीठ हुआ।
चेहरे पर झुर्रियां व्यापी,
रूप कुरूप बना दिया।
छोड़ सभी अंग अपना काम
लेने लगे हैं ये आराम
मन चंचल कुछ कम होकर
करने लगा झुक राम-राम
छोड़ कर सभी द्वेष-घमंड
मन साफ श्वेत चंदन हुआ।
चेहरे पर झुर्रियां व्यापी,
रूप कुरूप बना दिया।
-ः0ः-
बुढापे से डरा दिया आपने ।पर सत्य है
बुढ़ापा सचमुच भयानक होता है पर क्या करिए जीवन की यह एक सच्चाई है।
हाल में ही मेरी भी एक रचना बुढ़ापा यहाँ पर publish हुयी है। अगर आप एक बार अवलोकन करें तो मुझे अच्छा लगेगा!