हसरत थी मेरी, कि तुम्हे हंसा सकु ।
शिकवा नही कोई ,जो तुम्हे बता सकु ।
ताउम्र मोहब्बत करती रही,
तुम मुझसे ,
कह दो कि क्या दु तुम्हे , जो प्यार तुमसे निभा सकु ।।
(2 )
जिदंगी की ये भी अजब कहानी है ।
बेमौसम भी फिजा निराली है ।
दिल मे छुपी बात भी उन्हे बतानी है ।
कही कोई जख्म नही, फिर भी दर्द है गहरा
शायद खामोशी भी प्यार की इक निशानी है ।।
काजल सोनी
अति सुन्दर भावनाए……………..
आपको धन्यवाद शिशिर जी ।
Kya antim do panktiyaan likhi hain aapne….kamaal kar di……behad hi umda…kaajalji….
धन्यवाद सर्मा जी ।
हृदयतल को स्पर्श करती मार्मिक अभिव्यक्ति ǃ
ह्रदय से धन्यवाद आपका ।
bahut badiya rachna kajal ji……..
सराहना हेतु धन्यवाद आपका ।
शायद ख़ामोशी भी प्यार की निशानी है। काजल जी वाह……..!
कोटी कोटी आभार आपका ।
सुंदर भावों से युक्त रचना………………
भावो को समझने का धन्यवाद आपका विजय जी ।