साथ कटोरा लेकर दौड़ा
चौराहे का वीर देखो
कितना है रणधीर देखो
खुलेआम हाथ फैलाता
राह में जो कोई दिख जाता
खन खन झन झन
आवाजों में
बनती हुई तकदीर देखो
कितना है रणधीर देखो.
डरकर मरकर क्या मिलेगा
जीवन रहते गुल खिलेगा
गिरकर उठती
उठकर गिरती
जिंदादिल तस्वीर देखो
कितना है रणधीर देखो.
रोना धोना औऱ चीखना
इन सब से क्या लेना देना
एक याचना में मोती सा
बहता नैन का नीर देखो
कितना है रणधीर देखो.
दूषित तन है निर्मल मन है
दया दृष्टि करता ये जन है
शिक्षा दीक्षा से कोसों दूर
खुली मुक्त जंजीर देखो.
कितना है रणधीर देखो.
चौराहे का वीर देखो .
?डॉ सी एल सिंह?
बहुत ही सुन्दर अल्फाजो में आपने चौराहों पर भीख मांगते भिखारिओं को रेखांकित किया है।
बहुत खूबसुरत …………..!!
Bahut khoobsoorat……
बहुत खूब ………………………… लाल जी !!