गुजर रही जिंदगी गर्दिशों की छाँव में,
वक्त चुभो रहा मुश्किलो के काटे पांव में,
मंजिल दूर बहुत, चलते जाना है मुझे,
रोकने के लिए दिख रहा, जोर खिजाओ में,
कुरेद जख्म फिर चलता हु, मिले थे जो,
कभी बन उपहार अपनों की वफाओ में,
खतायें होती है अक्सर, मिटटी के पुतलो से,
बचना होगा गिरने से, सिर्फ अपनी निगाहों में,
लक्ष्य जीवन में साध, जिम्मेदारियों को उठा,
सजाना होगा अपने जीवन को, आशाओ से,
बहुत खूब……….बिलकुल सही लिखा है आपने………………………
thanks vijay ji…….
अति सुन्दर मनी जी
thanks abhishek ji…….
बहुत खूबसूरत………….
thanks c m sharma ji …….
gujar rahi jindagi gardisho ki chhawn mein wah kya kahana hai.
thanks bindu ji……………..
Maninder ji, हर पंक्ति में आपने दिल की गहराई में उतर कर जीवन के कटु अनुभवों को समायोजित किया है। याह आपके निरंतर लेखन का ही परिणाम है।
मेरी कोटिश शुभकामना आपके साथ है।
तहे दिल बहुत बहुत आभार आपका इस उत्साहवर्धन के लिए
सच्चाई को उकेरती खूबसूरत रचना मनी जी l
तहे दिल आभार राजीव जी आपका इस हौसलाफजाई के लिए
बहुत खूबसूरत मनी…….निरंतर लेखन में आपकी दृढ़ता झलकती है !!
ये आप जैसे विद्धवानो की छत्र-छाया का कमाल है | अगर आप सही मार्ग न बताते तो शायद इतना कुछ कभी ना लिख पता……………तहे दिल बहुत बहुत आभार निवातियाँ जी आपका |
Mani ji bahut badiya likha hai aapne
thanks kajal ji……………..
बहुत ही बढ़िया …………………………. मनी !!
तहे दिल शुक्रिया सर्वजीत जी आपका |
बहुत खूब मनी जी।
कुछ दिनों तक व्यक्तिगत कार्यो से दूर रहा। आपकी रचनाओ पर प्रतिक्रिया न दे पाने के लिए क्षमा!
तहे दिल शुक्रिया अरुण जी आपका……….मैँ कल ही सोच रहा था आपके बारे में अपनी पुरानी रचना पर पढ़ के आप की प्रतिक्रया देख कर |