मेरी माँ वो है जिसने है मुझको पाला
हर मुसीबतों के पहाड़ों से उसने है मुझे निकाला.
मैं बढू कदम दो कदम वो मुझको आगे बढाए
मेरी हर तरह की गलती को वो प्यार से है बताये .
मेरे हर जख्मों के ऊपर लगता है उसका वो मलहम
चोट खाकर गिर जाने को माने है वो मेरा बचपन .
मेरी रूखी बातों में भर्ती है वो हरयाली
मेरी हर बातें लगती हैं उसको बड़ी नियाली .
मुझको जनम देकर किया है उसने मुझपर एक एहसान
कभी ना टूटे उसका विश्वास और बना रहे उसका वो मान .
माँ का कोई मोल नहीं होता वो तो अनमोल है होती
मेरी माँ सबसे प्यारी हैं मैं हूँ दावे से कहती .
जीवन में उसने मुझको है दिया जो उसने कभी ना पाया
पल – पल मेरे रहती है साथ वो बनकर मेरा साया .
माँ तो प्यारी होती ही हैं. अच्छी रचना………….एक बार “माँ की याद” भी पढ़ें.
माँ को समर्पित सुन्दर भाव ……………अति सुन्दर !!
bahut khub surat rachna…………………………
बहुत खूबसूरत भाव………..
माँ अनमोल है उसका कोई नहीँ मोल है
ऋचा जी आपके कितने मीठे बोल हैं
अतीव सुंदर मनमोहक
माँ की स्तुति में जो ही कहा जाए कम है। अतीव सुंदर!
thank you sir
Aamulya sabd Maa. dil ko chhu lene wala mamata bhari pyar. Meri Maa ek acchi rachna.